जो जीव श्रीमद्भागवत कथा पुराण का श्रवण करता है उसका अंत: करण शुद्ध हो जाता है व तीन प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। सात दिनों की कथा सुनना तभी सार्थक माना जाता है, जब हम भगवान द्वारा बताए गए रास्तों पर चलते हैं

लोरमी ।  वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व जनपद अध्यक्ष पवन अग्रवाल के निवास में चल रहे श्री मद भागवत कथा में विदुषी साध्वी कथावाचिका पूज्या कृष्णप्रिया जी ने बताया कि जो जीव श्रीमद्भागवत कथा पुराण का श्रवण करता है उसका अंत: करण शुद्ध हो जाता है व तीन प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। सात दिनों की कथा सुनना तभी सार्थक माना जाता है, जब हम भगवान द्वारा बताए गए रास्तों पर चलते हैं। यह कथा मनुष्य को इस भवसागर से तार देने वाली है।”देवी जी ने बताया कि सप्तम दिवस की कथा अति महत्वपूर्ण है। जो किसी कारणवश पूरे सातों दिन कथा में नहीं आ पाते अगर वे एकाग्रचित होकर पूरे भक्ति भाव से सप्तम दिवस की कथा श्रवण करें तो उन्हें सभी दिवस की कथा श्रवण का फल प्राप्त होता है।

भगवान कृष्ण के पावन धाम वृंदावन से आई हुए अंतराष्ट्रीय कथा वाचिका अपने भजनों एवं कथाशैली के लिए विश्वभर में प्रसिध्द हैं। कथा पंडाल में प्रथम दिवस से ही भक्तों की भारी भीड़ देखने मिलती हैं।

देवी जी का जन्म 26 जनवरी 1997 को वृंदावन में हुआ और भगवत व गुरु कृपा से वह 6 वर्ष की आयु से भगवत कथा एवम भजनों का गायन कर रहीं हैं। वे सदैव अपने लड्डू गोपाल “श्री चैन बिहारी जी” को सदैव साथ रखतीं हैं।

देवी जी सनातन धर्म प्रचारिका होने के साथ ही मानव व गौ सेवा से भी जुड़ी हुईं हैं। “चैन बिहारी आश्रय फाउंडेशन” के माध्यम से वे लाखों जरूरत मन्द लोगो की मदद कर चुकीं हैं और गौशाला का संचालन भी करतीं हैं जिसमें 300 से अधिक बूढ़ी और बीमार गौमाता का रखरखाव किया जाता है। पूज्या कृष्णप्रिया जी का जीवन हम सभी के लिए निश्चित ही प्रेरणा स्त्रोत है।

जातिवाद का विरोध करते हुए देवी जी ने बताया कि – “हमारे सनातन धर्म में सभी वर्गों को भगवान का ही अंश माना गया है। जहाँ ब्राह्मणों को भगवान का मुख, क्षत्रिय को उनकी भुजा, वैश्य को उदर , एवम शुद्र को उनके चरण की संज्ञा दी गयी है। प्रभु का सर्वस्व पवित्र है इसलिए किसी मे भी भेदभाव न करें और सभी मे ईश्वर का दर्शन करें।

सनातन धर्म के विषय में उन्होंने कहा कि- ” सनातनी होना हमारा सौभाग्य हैं। हमारे यहां ईश्वर के साथ साथ प्रकृति को भी पूजा जाता है । लेकिन आज के समय में सनातनी अलग थलग हो रहे हैं। जो कि अत्यंत चिंता का विषय है। हम सभी सनातनियो को एकजुट होकर हिन्दू धर्म को बढ़ावा देना चाहिए जिससे हमारी अति प्राचीन संस्कृति सुरक्षित हो सके।सभी को ईश्वर की पूजा पाठ करना चाहिए जिससे आत्मिक शक्ति भी प्राप्त होती है।

आगे कथा में देवी जी ने भगवान के दो परम् मित्रों का वर्णन करते हुए बताया कि भगेमवन कृष्ण ने केवल दो ही लोगो को अपना परम् मित्र बनाया । एक उद्धव जी जो अत्यंत ज्ञानी थे और दूसरे बाल सखा जो भक्ति और प्रभु पर निष्ठा का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। अपने जीवन मे इतना अकाल होते हुए भी वे सदैव ही ईश्वर चिंतन में मग्न रहते और कभी भी भक्ति के सिवा उनसे कुछ भी चाह नहीं करते थे। हमें भी सुदामा की तरह हर परिस्थिति में पूर्ण भक्ति भाव व श्रद्धा से उनका स्मरण करना चाहिए। कथा सुनने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ,कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन ,कार्यकर्ता उपस्थित थे ।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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