जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष ने उठाया। बड़ा सवाल ,पूछा:अरपा तट पर लगभग तक़रीबन 80 से 100 करोड़ की सड़क किसके लिए? जनता से छुपाकर किसके लाभ के लिए बनाया गया यह प्रॉजेक्ट, किस दबाव में बनाया गया “सच्चाई जनता के सामने आये!

 बिलासपुर। जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष  विजय केशरवानी ने  बड़ा सवाल उठाते हुए  पूछा है कि अरपा तट पर लगभग तक़रीबन 80 से 100 करोड़ की सड़क किसके लिए? जनता से छुपाकर किसके लाभ के लिए बनाया गया यह प्रॉजेक्ट, किस दबाव में बनाया गया “सच्चाई जनता के सामने आये।

धरना प्रदर्शन की घोषणा करते हुए उन्होंने बताया कि ज़िले भर के ग्रामीण व शहर की ख़राब सड़‌को की दुर्दशा को लेकर मोपका की जर्जर सड़क पर कल शनिवार 1 बजे बड़ा विरोध  प्रदर्शन किया जाएगा ।

कोनी में कमिश्नर कार्यालय के नए भवन के पीछे नदी किनारे कथित अवैध सड़क पर आयोजित प्रेस कांग्रेस में विजय केशरवानी ने कहा कि  जिले के शहर और ग्रामीण की सड़कों की हालत बस से बदतर हो चुकी है, इस बात को लेकर कांग्रेस पार्टी ने धरना प्रदर्शन और आंदोलन करने का निर्णय लिया है, इस दौरान उन्होंने सरकार से सवाल जवाब किया है कि प्रदेश के उपमुख्य मंत्री व लोक निर्माण मंत्री बिलासपुर से हैं। केंद्रीय मंत्री भी इसी विभाग के जिम्मेदार है। वह भी बिलासपुर के ही सांसद हैं। इस छेत्र के स्थानीय विधायक भी सत्ताधारी दल के है बावजूद इसके प्रदेश में बिलासपुर की सड़कें बहुत ही ज्यादा खस्ता हाल में है। सवाल उठता है क्यों। और सवाल यह भी उठता है कि? जब पूरे जिले की सड़कें खस्ताहाल हैं, तब आखिरकार एक सुनसान अरपा तट पर लगभग १०० करोड़ की सड़क किसके लिए बनाई गई?

नदी किनारे बनी सड़क आगे जाकर निजी भूमि पर खत्म आखिर क्यों बनाई गई यह सड़क ?

श्री केशरवानी ने सवाल उठाते हुए कहा कि   अरपा नदी के दोनों किनारों पर 80 फीट नये कमिश्नर ऑफिस के पीछे कोनी और शिव घाट बैराज से मंगला अरपा नदी के दोनों तट पर से जहाँ यह सड़क बनाई जा रही है, उसके आगे सिर्फ निजी ज़मीन है और आगे कोई रास्ता ही नहीं बचेगा। ऐसे में यह सड़क सार्वजनिक सुविधा के लिए नहीं बन सकती तो फिर किसे लाभ पहुँचाने के लिए बनाई गई?

शहर के बीच रहने वाले लोगों की जरूरतें छोड़कर सुनसान तट पर करोड़ों क्यों फूंके गए ?

उन्होंने कहा शहर में जहाँ वास्तविक आबादी है, वहाँ की टूटी सड़कों को छोड़कर करोड़ों की राशि सुनसान इलाके में फूंकनां समझ से परे है। यह स्पष्ट है कि यह सड़क जनता के लिए नहीं, बल्कि किसी “विशेष लाभार्थी” के लिए तैयार की गई है।

उप मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू और स्थानीय विधायक सबको जानकारी फिर चुप्पी क्यों?

कांग्रेस का कहना है कि उपमुख्यमंत्री अरुण साव, केंद्रीय मंत्री व सांसद तोखन साहू, और स्थानीय विधायक सुशांत शुक्ला तीनों सत्ताधारी नेता इस सड़क की जानकारी अवश्य ही रखे होंगे इसके बावजूद आज तक इनमें से किसी ने यह नहीं पूछा कि यह सड़क  किसके लिए बनाई जा रही है? जब सत्ता पक्ष के तीन-तीन बड़े जनप्रतिनिधियों को जानकारी है, फिर भी जनता सड़क के कारण तकलीफ क्यों झेल रही है?

स्मार्ट सिटी के नाम पर भ्रष्टाचार !

उन्होंने बताया कि जहाँ यह सड़क बनाई जा रही है, वह क्षेत्र स्मार्ट सिटी की सीमा में आता ही नहीं, फिर भी स्मार्ट सिटी और नगर निगम के फंड का उपयोग यहाँ कर दिया गया। न DPR सार्वजनिक किया गया, न जन-सुनवाई हुई, न पर्यावरणीय अनुमति दिखाई गई और न ही संवेदनशील नदी तट से संबंधित किसी नियम का पालन किया गया। पूरा प्रोजेक्ट पारदर्शिता से दूर, दबावपूर्ण और उद्देश्यहीन है। जाहिर सी बात है स्मार्ट सिटी। के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हुआ है

वीरान और सुनसान जगह के अरपा तट पर 80 फीट बन रही लगभग 80 से करोड़ की सड़क पर बड़ा सवाल ?

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कांग्रेस का मानना है कि अरपा नदी के किनारे बनाई जा रही लगभग १०० करोड़ की सड़क संदेहों से भरी हुई है। जिस स्थान पर यह सड़क बनाई जा रही है, वहां न आबादी है, न ट्रैफिक, न कोई सार्वजनिक आवश्यकता। इसके बावजूद अरपा तट के सुनसान क्षेत्र में करोड़ों रुपये खर्च कर सड़क निर्माण किया गया और यह सड़क आगे जाकर निजी जमीन पर आकर रुक जाती है। कांग्रेस का कहना है कि पूरे प्रोजेक्ट को क्या शासन से छुपाया गया और जिम्मेदार अधिकारियों ने वास्तविक स्थिति सरकार तक पहुँचने ही नहीं दी।

शहर की टूटी सड़कों के बीच अरपा के सुनसान और वीरान तट पर क्यों बहाए गए करोड़ों रुपये ?

कांग्रेस का मानना है कि शहर सहित ग्रामीण चेत्रों की सड़कों की हालत बदहाल है। वार्डों में लोग गड्ढों, धूल और दुर्घटनाओं से जूझ रहे हैं। कितनी शर्म नाक बात है की नवरात्रि जैसे पर्व पर उबड़ खाबड़ और धूल के गुबार के बीच लोग ने दुर्गा पंडाल में विराजित प्रतिमा का दर्शन करने मजबूर हुए, हाई कोर्ट तक सड़कों की स्थिति पर सख्त टिप्पणी कर चुका है। ऐसे समय में अरपा के सुनसान तट पर लगभग 100 करोड़ की सड़क बनाना यह दर्शाता है कि इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जनता नहीं, बल्कि कुछ विशेष लोगों को फायदा पहुँचाना था।

अरपा संरक्षण व विकास की योजनाएँ दरकिनार अधूरी सड़क ने पूरा संतुलन बिगाड़ा

कांग्रेस का सानना है कि अरपा को बचाने और विकसित करने के लिए पूर्व वर्ती सरकार ने शिव घाट-पचरी घाट के बीच तट-सड़क, तट संरक्षण, सौंदर्गीकरण और पर्यटन ज़ोन जैसी योजनाएँ बनाई थीं।

: क्रमांक लेकिन मौजूदा प्रोजेक्ट में इन योजनाओं को किनारे कर दिया गया और सिर्फनाक महंगी, अधूरी एवं उद्देश्यहीन सड़क तैयार कर दी गई। यह सड़क न जनता के काम आती है, न शहर के विकास में सहायक है।

अरपा तट सड़कः आखिर किसके दबाव में हुआ निर्माण ?

कांग्रेस का मानना है कि यह सड़क न तो सार्वजनिक आवश्यकता के अनुरूप है, न किसी घोषित योजना का हिस्सा। सड़क जिस स्थान पर खत्म होती है वहाँ सिर्फ निजी भूमि है, जिससे स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य जनता के बजाय “कुछ गिने-चुने हितधारकों को लाभ पहुंचाना था। इस पूरे प्रोजेक्ट में शामिल अधिकारियों ने शासन व सरकार को वास्तविक तथ्य बताने के बजाय उन्हें छुपाए रखा।

दोनों मंत्रियों सहितं विधायक की चुप्पी ख़तरनाक

कांग्रेस का मानना है कि अरपा तट के दोनों ओर की इस गुपचुप सड़क निर्माण की जानकारी केंद्रीय मंत्री तोखन साहू, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव, को बेलतरा विधायक ने दी होगी ? इसके बावजूद इन जनप्रतिनिधियों ने न यह जानने का प्रयास किया कि सड़क यहाँ क्यों बनाई जा रही है, न यह पूछा कि इससे किसे लाभ पहुँचाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि यदि इन्हें जानकारी थी, तो उन्होंने अब तक इस मामले पर एक बार भी संज्ञान में क्यों नहीं लिया यह जनता जानना चाहती है?

आख़िर यह चुप्पी संदेह को जन्म दे है जनता के साथ मिलकर कांग्रेस पार्टी जवाब चाहती है।

बेलतरा सहित पूरे ज़िले भर की घोषणा वाली सड़के है कहा मंत्री गणों और स्थानीय विधायक के माध्यम से मीडिया में रोज़ इस बात की खबरे आती है कि सड़‌को के लियें कई सौ करोड़ों की घोषणाएँ हो रही है जितनी घोषणाएँ हो रही है, एक भी सड़क बनती नज़र नहीं आ रही है, आखिर इन घोषणाओं का क्या औचित्य ? घोषणाओं से ना तो शहरवासियों और ग्रामीण को राहत मिलेगी और ना ही दिक्कते दूर होंगी।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष ने उठाए ये सवाल

“शासन-प्रशासन से सवाल-“अरपा तट की 80 फीट लगभग 80 से 100 करोड़ की सड़क का DPR कहाँ है?

क्या स्मार्ट सिटी फंड का उपयोग गैर-स्मार्ट सिटी क्षेत्र में करना नियमों के अनुरूप है?

क्या अधिकारियों ने प्रोजेक्ट की वास्तविक स्थिति शासन से छुपाई?

सड़क निजी जमीन पर आकर क्यों रुक जाती है

अनुमति, नदी तट नियम और इको-संवेदी क्षेत्र के मानक कहाँ हैं?

जब शहर और ग्रामीण छेत्र की सड़कें जर्जर हैं, तो अरपा किनारे वीरान और सुनसान सड़क पर 100 करोड़ क्यों डाले गए?

क्या प्रोजेक्ट पर कोई जन-सुनवाई हुई? यदि नहीं, तो क्यों?

क्या प्रशासन और शासन को समय पर सटीक जानकारी दी गई थी?

अरपा नदी के बीचों-बीच सड़क निर्माण के पीछे किसका दबाव था?

यह सड़क सार्वजनिक जरूरत है या निजी हितों के लिए तैयार की गई परियोजना?

क्या अरपा नदी को मुंबई की ‘मरीन ड्राइव’ जैसा व्यू-पॉइंट बनाने के लिए गुपचुप तरीके से यह सड़क तैयार की गई?

केंद्रीय मंत्री, उपमुख्यमंत्री, बेलतरा विधायक और स्थानीय विधायक को जानकारी होने के बाद भी ‘चुप्पी’ क्यों बनी रही-क्या यह प्रोजेक्ट किसी विशेष लाभार्थी के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है?

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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