बिलासपुर । उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा है कि वक्फ बोर्ड में संशोधन करने केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपति का लाभ गरीबों ,जरूरतमंदों और आमजन को मिल सके । यह विधेयक पूरी तरह संवैधानिक है ।
जिला भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्री साव ने कहा कि दो और तीन अप्रैल देश के लिए महत्वपूर्व है। साल भर पहले 8 अप्रैल 2024 को वक्फ बोर्ड में संशोधन के लिए प्रस्ताव संसद में पेश किया गया था। जेपीसी जिसमें सारे दल के लोग है,को ,प्रस्ताव भेजा गया। अनेक स्तर पर चर्चा के बाद जेपीसी ने अपनी अनुशंसा भेजी जिस पर 2 और 3 अप्रैल को लोकसभा और राज्यसभा में देर रात तक बहस के बाद विधेयक को पारित किया गया ।उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से भारतीय जनता पार्टी वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार चाहती है ताकि इन संपत्तियों का दुरुपयोग न हो और उनका सही तरीके से इस्तेमाल हो। संसद के दोनों सदनों में लम्बी चर्चा के बाद पारित वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के संबंध में श्री साव ने कहा कि ट्रांसपेरेंसी और जिम्मेदारी के लिहाज से इस वक्फ संशोधन बिल से वक्फ बोर्डों के कार्यों में अधिक पारदर्शिता और जिम्मेदारी आएगी, जिससे ये बोर्ड वक्फ की संपत्तियों के उचित उपयोग में सक्षम होंगे।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा भाजपा चाहती है कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समाज के फायदे यथा- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य सामाजिक कल्याण की योजनाओं के लिए होना चाहिए। इस दौरान श्री साव ने पुराने और नए बिल में अंतर पर भी जानकारी दी ।
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड की परिषद में सिर्फ मुस्लिम सदस्य के पुरुष शामिल हो सकते हैं। अब वक्फ बिल पास होने के बाद परिषद में 2 मुस्लिम महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा।इसी तरह. पहले सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा घोषित कर सकता था। अब वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर मालिकाना हक दावा करने से पहले सत्यापन करना अनिवार्य होगा कि वो संपत्ति सही में वक्फ बोर्ड की ही है। सेक्शन 40 को खत्म कर पारदर्शिता लाई जा रही है। पहले वक्फ बोर्ड सरकारी संपत्ति पर भी दावा कर सकता था। अब सरकारी संपत्ति और आदिवासियों की संपत्ति वक्फ से बाहर होगी और वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं मिलेगा।
श्री साव ने बताया कि पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ सिर्फ वक्फ ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया जा सकता था। वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी होता था और इसे किसी भी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जाती थी। अब संशोधन के बाद वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के भीतर कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
श्री साव ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड के खिलाफ कई बार दुरुपयोग की शिकायतें सुनने को मिलती रही हैं। कई लोगों का दावा रहा है कि वक्फ उनकी संपत्ति पर जबरन दावा ठोक देता है। अब वक्फ बोर्ड की सभी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मुख्यालय में होगा।और कलेक्टर को इस पर निर्णय करने का अधिकार होगा।
श्री साव ने बताया कि पहले वक्फ बोर्ड पर कुछ विशेष मुस्लिम समुदायों का कब्जा था। अब वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी समेत पिछड़े वर्ग के मुस्लिम समुदायों से भी सदस्य बनेंगे।
उन्होंने यह भी बताया कि पहले सेंट्रल वक्फ काउंसिल में 3 सांसद (2 लोकसभा और 1 राज्यसभा) होते थे और तीनों सांसदों का मुस्लिम होना जरूरी था। अब केंद्र सरकार तीन सांसदों को सेंट्रल वक्फ काउंसिल में रखेगी और तीनों का मुस्लिम होना अनिवार्य नहीं है।
श्री साव ने कहा कि देश में रेलवे की कुल जमीन 33 लाख एकड़, सेना (सेना या रक्षा मंत्रालय) की कुल जमीन 17 लाख एकड़ और वक्फ बोर्ड की कुल जमीन 9.4 लाख एकड़ है। वक्फ के पास 1.2 लाख करोड़ रुपए कीमत की संपत्ति है।Q वक्फ सेंट्रल काउंसिल में 22 सदस्यों में 10 सदस्य मुस्लिम समुदाय से होंगे। अधिकतम 4 सदस्य गैर मुस्लिम होंगे। तीन सांसद होंगे। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 2 पूर्व जज होंगे और एक एडवोकेट होंगे।
उप मुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि देश के आदिवासियों के हित को देखते हुए शेड्यूल 5 और शेड्यूल 6 में वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट नहीं कर सकते हैं। वक्फ ट्रिब्यूनल में 3 सदस्य होंगे। उनका कार्यकाल 6 साल का होगा
श्री साव ने कहा इस बिल को पास करवाकर मोदी सरकार ने गरीब मुस्लिमों के हितों का संरक्षण करने के साथ साथ आदिवासियों,सरकारी जमीनों और सर्व समाज की जमीनों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है। यह बिल हर समाज के साथ न्याय करने वाला है, न कि कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों का। प्रेस वार्ता में बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल ,बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला, जिलाध्यक्ष दीपक सिंह, कोषाध्यक्ष गुलशन ऋषि मौजूद थे।

