
मेरे अन्नदाता किसान भाईयों वर्तमान में हमारी धरती माँ को पोषित करने के लिए हमें खेती में जैविक खाद का प्रयोग करना ,आवश्यक है, पहले किसान भाईयों के पास पशुधन था, किसान भाई हर साल गोबर की खाद का उपयोग खेती में करते थे,जिससे खेती की उपजाऊपन ,अनाज की गुणवत्ता बनी रहने के साथ ही मानव सेहत भी अच्छी रहती थी।
किसान भाईयों खेती के विकास के लिए जीवामृत का प्रयोग कर, इसके लिए आपको देशी गाय का गोबर 10किलो, गौमूत्र 5ली., 2किलो केमिकल रहित गुड, 250ग्राम मूंगफली या सोयाबीन का तेल, 2लीटर देशी गाय का दही, 2किलो चना, मूँग या उडद का आटा, 1 किलो बरगद के पेड के नीचे की मिट्टी ( या जिस फसल को जीवामृत देना है उस फसल के जडो के पास वाली मिटटी 1 किलो) ,200 लीटर पानी मिलाकर एक सीमेन्ट या प्लास्टिक की टंकी मे08 दिन तक मोटे कपडे से टंकी का मुख बाँध कर रखिये। रोज 02 बार मिश्रण को डंडे से घडी की दिशा में हिलाया,इससे जीवाणु की मात्रा बढने मे आक्सीजन की उपलब्धता होती है।
** यह मिश्रण 01एकड भूमि में जब भूमि गीली हो तब शाम के समय छिडकाए या फसल को पानी देते समय पानी में मिलाकर छोड़ दे । तो इससे सभी सूझम जीवाणु बढेंगे। **हर फसल को कम से कम माह में 01बार जीवामृत देना आवश्यक है।
किसान भाईयों के भूमि की दशा सुधारने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए, बिलासपुर, विलहा,कोटा विकास खंड के किसानों ने धान एवं आलू की फसल मे जीवामृत का 01बार ही प्रयोग कर इसके फायदे के अनुभव बताया,कि यह खेती के लिए फायदेमंद और शक्तिशाली है।
जय जवान, जय किसान, जय मां भारती । 🙏
डा.दिनेश कुमार शर्मा, सेवा निवृत्त प्राध्यापक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विस्तार शिक्षा, इ.गा.कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176
Thu May 29 , 2025
तखतपुर (टेकचंद कारड़ा) ।खेत में ट्रैक्टर से कृषि कार्य कर रहे युवक की मेड़ में ट्रैक्टर अचानक पलट जाने से चालक ट्रैक्टर के नीचे ही दब गया जिससे मौके पर ही मृत्यु हो गई पुलिस मार्ग कम पर विवेचना कर रही है मुंगेली जिला थाना जरहागांव अंतर्गत ग्राम परसाकापा निवासी […]