बिलासपुर। जहर सेवन कर आत्महत्या कर लेने वाले शख्स को सांप काटने से मृत्यु होना बता साजिश पूर्वक मुआवजा राशि प्राप्त करने ,फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने के मामले में सिम्स के डाक्टर ,वकील और मृतक के परिजन के खिलाफ कार्रवाई तो हो चुकी लेकिन बड़ा सवाल यह है कि मृतक के परिजनों से सांप काटने के कारण मौत होने का झूठा बयान लेने वाले सिम्स के चौकी प्रभारी के खिलाफ अभी तक आखिर क्यों कुछ कार्रवाई नहीं हुई?चौकी प्रभारी को आखिर कौन बचाना चाहते है और उसे बचाकर किसको लाभ पहुंचाना चाहते है? किसी भी मेडिको लीगल मामले में घटना से संबंधित लोगों से लिया गया गया बयान जो पुलिस लेती है वह लिखित बयान काफी महत्वपूर्ण होता है तथा किसी अपराधी को सजा दिलाने में उक्त बयान अति महत्वपूर्ण होता है भले ही कुछेक मामले में बयान देने वाले लोग कोर्ट में अपने बयान से मुकर जाते है लेकिन सर्पदंश वाला मामला अलग ही प्रकार का है क्योंकि इस मामले में बयान देने वाले ही आरोपी हो गए है। मृतक के परिजनों से चौकी प्रभारी ने कथित बयान लिया जिसमें सांप काटने से मौत होने की बात कही गई और बयान के आधार पर ही मृतक के शव का पोस्टमार्टम किया गया । चूंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक की मौत सुनियोजित ढंग से सर्पदंश से ही होना बताया जाना था इसलिए वकील आदि ने सिम्स के डाक्टरों को सेट किया और फर्जी रिपोर्ट बनवा लिया गया । मामले का भंडाफोड़ होने पर दो डाक्टर ,वकील और मृतक के परिजन पर कार्रवाई तो हुई लेकिन कथित झूठा बयान दर्ज करवाने वाले सिम्स चौकी के प्रभारी कार्रवाई से साफ बच निकले । उन्हें किसने बचाया यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। आजकल तो मेडिको लीगल मामलों में वकीलों के चौकी और थानों में लगातार उपस्थिति होने लगी है।
*एक बार और जान लें सर्पदंश से मौत बता कैसे लिए मुआवजा ?*
कर्ज से परेशान युवक ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। इस पर एक वकील ने षडयंत्र रच परिजनों को इस बात के लिए राजी किया कि वे सर्पदंश से मौत होना बताएं, तगड़ा मुआवजा मिलेगा। इस षडयंत्र में पोष्टमार्टम करने वाली डॉक्टर को भी मिलाते हुए उससे वैसी ही रिपोर्ट तैयार करा ली गई। इसी रिपोर्ट के आधार पर शासन से 3 लाख रुपए मुआवजा राशि के लिए दावा किया गया।
पुलिस ने जब इस मामले की बारीकी से जांच की तो सारी सच्चाई सामने आ गई। खुलासा होने के बाद मृतक के परिजनों, वकील और डॉक्टर के खिलाफ अपराध दर्ज कर पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है। उक्त मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया था कि सर्प दंश का एक मामला 12 नवंबर 2023 को आया था।
बिल्हा थाना क्षेत्र के ग्राम पोड़ी निवासी शिवकुमार घृतलहरे (36) की तबीयत खराब होने पर पहले उसे बिल्हा स्थित सीएचसी में भर्ती कराया गया। हालत में सुधार न होने पर उसे सिम्स रेफर कर दिया गया था। यहां भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। तब उसके मुंह से झाग निकल रहा था और उल्टियां भी हो रही थीं। इलाज के दौरान 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई थी।
जब शव का पोस्टमार्टम हुआ, तब परिजनों ने मौत की वजह सर्पदंश बताई। पोस्टमार्टम करने वाली सिम्स की डॉ. प्रियंका सोनी ने भी उसी आधार पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार कर दी। लेकिन, जब पुलिस ने जांच की, तब पता चला कि शिवकुमार ने शराब के साथ जहर पीकर सुसाइड किया था। जांच में पता चला कि शिवकुमार कर्ज से परेशान था, इस वजह से उसने आत्महत्या की थी।
जब बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने कहा था: जशपुर नहीं अब बिलासपुर बना ‘नागलोक’, 4 गुना ज्यादा सर्पदंश के मामले
एसएसपी ने कहा-षडयंत्र का मास्टर माइंड वकील कामता साहू
एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच और पूछताछ में पता चला कि इस षड़यंत्र का मास्टर माइंड वकील कामता साहू है। परिजनों से मिलकर उसने शासन से 3 लाख रुपए मुआवजा दिलाने की साजिश रची। इसके लिए उसने परिजनों को सर्प दंश से मौत होने का बयान देने, डॉक्टर प्रियंका सोनी से उसी अनुरूप पीएम रिपोर्ट तैयार कराने का षड़यंत्र रचा।
जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में सकरी थाना क्षेत्र के पेंडारी निवासी वकील कामता साहू 36 वर्ष, सिम्स की फॉरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका सोनी, मृतक के पिता पराग दास घृतलहर 66 वर्ष, भाई हेमंत कुमार घृतलहरे 34 वर्ष, पत्नी नीता घृतलहरे 35 वर्ष के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।
बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने विधानसभा में बिलासपुर जिले में सर्पदंश से मौत के मामले को उठाया था। उन्होंने बताया था कि छत्तीसगढ़ में नागलोक के नाम से प्रसिद्ध तपकरा की तुलना में बिलासपुर में चार गुना अधिक मुआवजा वितरण किया गया है। तपकरा में एक साल में सर्पदंश के 100 से कम मामले दर्ज हुए। जबकि बिलासपुर जिले में इसी अवधि में 480 प्रकरणों में मुआवजा वितरण किया गया।
इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जिले के राजस्व अफसरों की बैठक ली थी, जिसमें उन्होंने विभागीय कामकाज की समीक्षा करते हुए उक्त मामले में सक्रिय गिरोह की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए। पुलिस ने ऐसे ही एक प्रकरण में वकील, डॉक्टर और मृतक के परिजन के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया । इसमे सिम्स चौकी प्रभारी उप निरीक्षक गुलाल सोनवानी की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है । उन्होंने मृतक के शराब के नशे मे जहर खाकर दों दिन तक सिम्स मे भर्ती रहने के बाद आखिर जहर से मृत्यु को सर्पदंश से मृत्यु का बयान परिजनों से क्यों दिलवाया? आरोप है कि वकील से सांठ गांठ कर डाक्टर से सेट करके पी एम रिपोर्ट में सर्पदंश बता कर मुआवजे का खेला किया। सब कुछ जानते हुए भी चौकी प्रभारी ने क्या कोई खेला किया था? यदि ऐसा है तो चौकी प्रभारी भी बराबर के दोषी क्यों नहीं हो सकते? लेकिन पुलिस वाले को बचाकर परिजनों, डाक्टर, वकील को आरोपी बनाया गया और चौकी प्रभारी को पाक साफ होना बता दिया गया । उक्त चौकी प्रभारी 5 साल से सिम्स चौकी मे पदस्थ है। जबकि किसी भी थाने में कोई भी सिपाही ,अधिकारी ,निरीक्षक 3 साल से ज्यादा पदस्थ नहीं रहते।
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176
Fri Aug 1 , 2025
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