छठ पर्व की ही तरह छत्तीसगढ़ के तीज त्योहारों को भी भव्यता से मनाया जाए

आंवला नवमी का पर्व हर्षोल्लास मनाया गया 

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्व आंवला नवमी आज हर्षोल्लास मनाया गया । विवेकानंद उद्यान ,कानन पेंडारी सहित अन्य वन्य क्षेत्रों में आंवला पेड़ की पूजा कर महिलाएं सपरिवार पिकनिक का आनंद लिया कई महिलाओं ने घरों में कार्यक्रम रखा ।कांग्रेस नेत्री सीमा पांडे के जूना बिलासपुर निवास में भी इस अवसर पर भव्य आयोजन किया गया ।कार्यक्रम में राजनेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय नागरिकों ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की और आंवला नवमी और छत्तीसगढ़ी अन्य त्योहारों को भी छठ पूजा की तरह भव्यता से मनाने की आवश्यकता पर बल दिया ।हाल ही में बिहार और उत्तर भारतीयों के पर्व छठ पूजा का जिस तरह भव्य आयोजन देखने में आया वैसे ही भव्यता से छत्तीसगढ़ के त्योहार और आयोजनों को किए जाने की आवश्यकता है। यह बात आज आंवला नवमी उत्सव को बनाते हुए राजनेताओं सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं नागरिकों के बीच उभर कर आई। आज सामाजिक कार्यकर्ता सीमा पांडे के जूना बिलासपुर निवास पर आंवला नवमी का भव्य आयोजन किया गया। इस दौरान आवला पेड़ की पूजा की गई और लक्ष्मी और विष्णु भगवान की भी पूजा साथ-साथ की गई और पेड़ के छाव के नीचे बैठकर श्रद्धालुओं ने भोजन किया।

आंवला नवमी धार्मिक पारंपरिक पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है, इस पर्व की सभी ने एक दूसरे को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।  

पिछले 20 वर्षों से आंवला नवमी के शुभ अवसर पर बिलासपुर जिला शहर कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती सीमा पांडे के निवास स्थान पर विधि विधान पूर्वक आंवला नवमी का आयोजन होता आ रहा है जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं एवं नगर के वरिष्ठ जन उपस्थित होकर भोज का आनंद उठाते हैं। पिछले आठ नौ वर्षों से मे अपने परिवार सहित उपस्थित होकर भगवान विष्णु वृक्ष आंवला की पूजा अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं।, इस दिन का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है, यह प्रकृति और स्वास्थ्य दोनों से जुड़ा है,पर्यावरण संरक्षण के साथ आंवला नवमी पर आंवले का पौधा लगाएं: यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है, यह सुनिश्चित करता है कि पर्यावरण की सुरक्षा हो और भविष्य में भी इस पेड़ का लाभ मिलता रहे। 

वृक्ष की पूजा और परिक्रमा

:वृक्ष के नीचे भोजन और दान: आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर परिवार इष्ट मित्रों सहित भोजन करने का आनंद पर्यावरण संरक्षण का संकल्प: हमारी धार्मिक परंपराओं में वृक्षों के महत्व को दर्शाता है, आंवले का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। यह पाचन सुधारने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और त्वचा व बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, वैज्ञानिक महत्व के साथ-साथ धार्मिक महत्व आंवला नवमी को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि आंवले के वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु का वास है और यह प्रकृति का प्रतीक है, आंवले को आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है। इसके नियमित सेवन से कई बीमारियां दूर रहती हैं और शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं!

आज के आयोजन में प्रमुख रूप से श्रीमती पांडे के परिवार के अलावा निलेश मंडेवार महेश दुबे टाटा सुदीप श्रीवास्तव अविनाश सेठी देवेंद्र सिंह ठाकुर बद्री यादव आशुतोष शर्मा कमल गुप्ता कृष्ण मुरारी दुबे प्रतीक तिवारी और बड़ी संख्या में महिलाएं आंवला उत्सव में शामिल हुई।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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Thu Oct 30 , 2025
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