पटवारी हो तो सुशील जायसवाल जैसा वरना ना हो, उसने हजार दो हजार नहीं बल्कि एक लाख की रिश्वत लेकर बता दिया कि मंहगाई के दौर में पांच ,दस हजार से काम नहीं चलेगा

बिलासपुर। वाह पटवारी सुशील जायसवाल आपका जवाब नहीं । आपने पटवारियों के स्टैंडर्ड का पूरा ख्याल रखा वरना 10 ,20 हजार की रिश्वत कोई रिश्वत होता है भला ? इस बढ़ती मंहगाई के दौर में पच्चीस पचास हजार का कोई वेल्यू नहीं है आपने एक लाख का रिश्वत लेकर ऐसे तमाम पटवारियों का मान रखा है जो रिश्वत लेते है । आपने तमाम पटवारियों का रेट बढ़ा दिया है । तमाम आंदोलन ,धरना प्रदर्शन के बाद भी सरकार इतनी रकम पटवारियों को नहीं देती ।आपने इतना बड़ा काम किया है कि सारे पटवारियों के लिए एक नजीर बन गया है । यह अलग बात है कि आपको रिश्वत की रकम से कितनी राशि अपने ऊपर के अधिकारियों को पहुंचाना था । उल्लेखनीय है कि गुरुवार को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने 1 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए पटवारी और सहायक को पकड़ लिया । पटवारी ने सीमांकन के लिए 4 लाख रुपए में सौदा किया था। पहली किस्त के रूप में एक लाख रूपए रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।

मिली जानकारी के अनुसार वैभव सोनी मुंगेली के रामगढ़ का रहने वाला है। उसने एन्टी करप्शन ब्यूरो बिलासपुर में शिकायत किया था कि रामगढ़ में उनके पिता के नाम पर 26 एकड़ कृषि भूमि है। उसने राजस्व निरीक्षक से सीमांकन करवाने के लिए पटवारी को आवेदन दिया था। सीमांकन के बदले में पटवारी सुशील जायसवाल ने 5 लाख रूपए रिश्वत मांग रहा था। काफी सौदेबाजी के बाद मामला 4 लाख रुपए में सीमांकन के लिए सौदा तय हुआ। सौदा फाइनल होने के बाद वैभव सोनी से इसकी शिकायत नवंबर 2024 में ACB बिलासपुर में कर दी, क्योंकि वह रिश्वत नहीं देना चाह रहा था। शिकायत का सत्यापन करने के बाद ACB ने 30 जनवरी को जाल बिछाया और वैभव सोनी को 1 लाख रुपए की पहली किस्त लेकर पटवारी के पास भेजा। योजना के अनुसार प्रार्थी ने पैसा दिया और एसीबी की टीम ने आरोपी पटवारी सुशील जायसवाल, उसके सहयोगी गुलाब दास मानिकपुरी को प्रार्थी से 1 लाख रूपए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। बिलासपुर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने पटवारी सहित दोनों आरोपियों को गिरफ्तार लिया है। दोनों आरोपियों के खिलाफ धारा 7 और 12 पीसीएक्ट 1988 के प्रावधानों के तहत आगे की कार्रवाई की जा रही है। इस प्रकरण में राजस्व निरीक्षक नरेश साहू की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है और उसकी संलिप्तता की जांच जारी है।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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