
बिलासपुर । दौर चुनाव का है और आरोप प्रत्यारोप को राजनीति से प्रेरित बताकर पल्ला झाड़ने की अक्सर कोशिश होती है लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में विपक्षी दल कांग्रेस को एक नहीं कई झटके लग रहे है ।झटका सीधे तौर पर सत्तारूढ़ दल से नहीं बल्कि प्रशासन से नामांकन पत्रों की जांच में मिल रहा है ।
स्वाभाविक है चुनाव का वक्त है तो कांग्रेस पार्टी भी चुप नहीं बैठ रही और प्रशासन पर सत्तारूढ़ पार्टी तथा सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाने में कोई देरी नहीं कर रही भले ही उसकी आवाज नक्कार खाने में तूती साबित हो रही ।इतना तो तय है कि कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं को नियंत्रित नहीं कर पा रही ।टिकट नहीं मिलने पर अपनी ही पार्टी में गोल करते हुए अपरोक्ष रूप से सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने का काम कांग्रेस के बागी दावेदार कर रहे है लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता ने धमतरी मेयर के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने और बिलासपुर के भाजपा प्रत्याशी की जाति को लेकर की गई शिकायत को रिटर्निग अधिकारी द्वारा अमान्य कर देने पर सीधे तौर पर धमतरी और बिलासपुर कलेक्टर पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि दोनों कलेक्टर सत्तारूढ़ दल और सरकार के इशारे पर काम कर रहे है ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने तो धमतरी कलेक्टर पर कहा कि रात को सी एम हाउस से उनको फोन आया था इसकी सत्यता के लिए कलेक्टर के मोबाइल का कॉल डिटेल निकाला जाए । उन्होंने धमतरी के कांग्रेस मेयर प्रत्याशी का बचाव करते हुए कहा कि उनके पार्टी का मेयर प्रत्याशी नगर निगम में नहीं बल्कि लोनिवि में कांट्रेक्टर है । इधर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय ने बिलासपुर कलेक्टर पर आरोप लगाया है ।
कांग्रेस के इन नेताओं के आरोप से खलबली तो मचेगी ही । प्रवक्ता अभय नारायण राय ने एक बयान में आरोप लगाया है कि 2010 में पिछड़ी जाति की सूची में ओडिया जाति राजपत्र अधिसूचना पर आया, तो जाति प्रमाण पत्र 2005 में कैसे बन गया? निर्वाचन अधिकारी, एसडीएम ने अपने इशारों पर नचाकर कांग्रेस का आपत्ति निरस्त कराया ।भाजपा प्रत्याशी एल. पद्मजा के नामांकन पत्र में अनेकों आपत्तियां हैं मगर निर्वाचन अधिकारी मौन होकर उनका खुलेआम समर्थन कर रहे हैं। स्कूटनी के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद नायक ने जाति प्रमाण पत्र पर आपत्ति जताते हुए लिखित आवेदन प्रस्तुत किया तो निर्वाचन अधिकारी द्वारा लगातार उनके बात को शासन-प्रशासन के दबाव में काटने की कोशिश किया गया। कांग्रेस प्रत्याशी के वकील ने दबाव बनाया तो शाम 5:00 बजे तक समय दिया गया। शाम को भाजपा सरकार के दबाव में आकर निर्वाचन अधिकारी द्वारा यह बोलकर आपत्ति को खारिज कर दिया गया कि एल. पद्मजा का जाति प्रमाण पत्र जिसमें उड़िया जाति लिखा हुआ है वह सही है और मान्य है।आपत्ति निरस्त करने के लिए निर्वाचन अधिकारी मूकदर्शक जैसे बैठे रहे और एडीएम ने आपत्ति निरस्त करने का आदेश डिक्टेट कराया जिसपर निर्वाचन अधिकारी ने चुपचाप हस्ताक्षर किया। इससे यह पता चलता है कि किस स्तर पर एल. पद्मजा के जाति प्रमाण पत्र को सही साबित करने के लिए शासन और प्रशासन द्वारा निर्वाचन अधिकारी पर दबाव बनाया जा रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद नायक द्वारा दो बार आवेदन लगाया गया कि भाजपा प्रत्याशी एल. पद्मजा के नामांकन की पूरी सत्यापित प्रतिलिपि उन्हें उपलब्ध कराया जाए जिसमें पहले आवेदन 27 जनवरी 2025 को और दूसरा आवेदन 29 जनवरी 2025 को लगाया गया था परंतु जाति प्रमाण पत्र को छोड़कर बाकी चीज उपलब्ध कराई गई इससे साफ जाहिर होता है कि सिर्फ एल. पद्मजा ही नहीं शासन भी अपने पद के दुरुपयोग और गलतियों को लीपा पोती करना चाहती है। बड़ा सवाल यह है कि 2010 में जब उड़िया जाति को राजपत्र द्वारा शामिल किया गया तो तहसीलदार 2005 में कैसे उड़िया जाती पर जाति प्रमाण पत्र जारी कर सकता है। बहरहाल कांग्रेस के इन आरोपों पर भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया आना बाकी है ।
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176
Fri Jan 31 , 2025
बिलासपुर। वाह पटवारी सुशील जायसवाल आपका जवाब नहीं । आपने पटवारियों के स्टैंडर्ड का पूरा ख्याल रखा वरना 10 ,20 हजार की रिश्वत कोई रिश्वत होता है भला ? इस बढ़ती मंहगाई के दौर में पच्चीस पचास हजार का कोई वेल्यू नहीं है आपने एक लाख का रिश्वत लेकर ऐसे […]