बिलासपुर। तो लो भइया राजधानी रायपुर में 3 नए मंत्रियों (दो पुराने कांग्रेसी) का शपथ ग्रहण संपन्न हो गया मगर बिलासपुर के भइया की चर्चा तक नहीं । उधर शपथ ग्रहण इधर बिलासपुर को न जाने किसका लगा है ग्रहण जो पौने सात साल से उतरने का नाम नहीं ले रहा । कुछ तो बात है जो बिलासपुर का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा। वृंदावन ,ज्योतिष,हवन,से लेकर तमाम उपाय बेकार जा रहा है। ग्रहण पीछा नहीं छोड़ रहा । ग्रहण छूटे भी तो शपथ ग्रहण के लिए अब वर्षों तक कोई गुंजाइश नहीं है। बिलासपुर का अब भगवान ही मालिक है । साव ,साहू की कृपा पर अब निर्भर रहना रहना पड़ेगा । याद कीजिए डॉ रमन सिंह के कार्यकाल को जब बिलासपुर के छत्तीसगढ़ भवन में बिलासपुर के विकास की बात पर पत्रकारों ने सवाल पूछा था तब डा रमन सिंह ने कहा था सरकार के खजाने की चाबी को ही मैने आपके बिलासपुर के विधायक को सौंप दिया है । (तब अमर अग्रवाल वित्त मंत्री बनाए गए थे) अब तो खजाने की चाबी पूर्व नौकरशाह और रायगढ़ के विधायक के पास है। बिलासपुर को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर यहां के भाजपाई और विधायक समर्थक क्या सोचते हैं और उनका अगला कदम क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा लेकिन साय सरकार के निर्णय से बिलासपुर काफी पीछे चला गया है। कैबिनेट विस्तार के बाद दुर्ग ,अंबिकापुर और रायपुर जिले में उत्साह का माहौल है लेकिन बिलासपुर में मायूसी छाई हुई है हालांकि आम नागरिकों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है मगर भाजपा में फर्क तो देर सबेर दिखेगा ही। भाजपा शीर्ष नेतृत्व द्वारा द्वितीय पंक्ति के नेताओं को तरजीह देने के चलते द्वितीय पंक्ति के तमाम नेताओं में उम्मीद की किरण हिलोरे मार रही है लेकिन मन में एक शंका भी है कि कांग्रेस से आए द्वितीय पंक्ति के नेताओं को इसी तरह उपकृत किए जाने का सिलसिला चलता रहेगा तो उनकी बारी आने से रही ।आज जो नए मंत्री बनाए गए है उन्हें किसके आदेश ,सिफारिश और सलाह पर उपकृत किया गया यह सवाल उठ तो रहा है लेकिन यह अभी यक्ष प्रश्न है।यक्ष प्रश्न इसलिए कि इन नए नवेले विधायकों ने पुराने और घाघ पूर्व मंत्रियों को मंत्री बनने के रेस से बाहर कर देने में निश्चित ही किसी बड़े शख्स का सहारा लिया है जिसकी दिल्ली से अंबिकापुर तक तूती बोलती हो ।
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Wed Aug 20 , 2025
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