महापौर चुनाव, पुराने ओबीसी दावेदारों को नए चेहरों की चुनौती, पार्षद न सही पत्नी के लिये लॉबिंग, गांवों से भी दावेदारी

बिलासपुर. नगर निगम बिलासपुर के महापौर का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया है. इसकी घोषणा होते ही पिछड़ा वर्ग के नेता, पूर्व पार्षद, महापौर  सभी महापौर का चुनाव लड़ने सक्रिय हो गए गए है. कई ऐसे पार्षद जो सभापति, नेता प्रतिपक्ष रह चुके है लेकिन इस बार आरक्षण के चलते पार्षद का चुनाव नहीं लड़  पाएंगे वे अपनी पत्नी को महापौर का प्रत्याशी बनवाने जी जान से लगे है. यदि भाजपा, कांग्रेस दोनों दल पुराने नेताओं से पीछा छुड़ाने नए चेहरों को चुनाव मैदान मे उतारती है (जिसकी काफी संभावना है) तो पिछड़ा वर्ग के  पुराने नेताओं की राजनैतिक दुकानदारी बंद हो जाने का खतरा है.

इधर शहर से लगे कई ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल कर देने के बाद गांवों के पिछड़ा वर्ग के नेता भी महापौर का चुनाव लड़ने दावा करते हुए शहर कूच कर रहे है. पिछड़ा वर्ग से भाजपा यादव, साहू और देवांगन समाज से प्रत्याशी देने की तैयारी में है. किशोर राय, विनोद सोनी, विष्णु यादव, ओमप्रकाश देवांगन टिकट की लैन में है वहीं कांग्रेस से रामशरण यादव, त्रिलोक श्रीवास  आदि को टिकट की उम्मीद है. कई बार के पार्षद, निगम सभापति, नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी  इस बार अपने पुराने वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. आरक्षण के चलते उन्हें दूसरे वार्ड में पलायन करना पड़ेगा इसलिए वे अपनी पत्नी एल पद्मजा (पूजा विधा ni) को महापौर का टिकट दिलवाने कोशिश कर रहे है जबकि उनके विरोधियों का कहना है कि भाजपा महापौर उमाशंकर जायसवाल के कार्यकाल में अशोक विधानी की पत्नी पार्षद थी तब अजीत जोगी मुख्य मंत्री थे. श्री जोगी से  प्रभावित हो उमाशंकर जायसवाल ने महापौर रहते हुए भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. सर गांव  में आयोजित कार्यक्रम में उमाशंकर जायसवाल के साथ ही अशोक विधा नी  की पत्नी और अन्य पार्षदों  रमेश जायसवाल, भगवती  साहू, सुरेश vadhvani,प्रेम  लाल खैरवार ,नीता श्रीवास्तव आदि कांग्रेस में शामिल हो गए थे तब उन्हें इंदिरा गांधी देश की सबसे अच्छी नेता लगती थी लेकिन रमन सिँह की सरकार बनते ही सभी वापस भाजपा में लौट गए और सभी को श्यामा प्रसाद मुखर्जी  अच्छे लगने लगे. विरोधियों का यह भी कहना है कि अशोक विधानी  अपने आप को इसपाईडर मैंन समझते है तो दूसरे वार्ड से चुनाव जीत कर आ जाएं. इधर पूर्व महापौर किशोर राय जो रिकार्ड 38 हज़ार मतों से चुनाव जीते थे उन्हें इस बार भाजपा संगठन में प्रदेश प्रतिनिधि  नहीं बनाया गया इस बात को लेकर कई तरह की चर्चायें है. किशोर राय के अलावा हर्षिता पांडेय को भी प्रदेश प्रतिनिधि नहीं बनाया गया जिसका असर भाजपा संगठन की बैठक में देखने को भी मिला. आने वाले दिनों में भाजपा किसे महापौर का योग्य मानती है, स्पष्ट हो जाएगा. हो सकता है विवाद से बचने पिछड़ा वर्ग की किसी तेज तर्रार नेत्री को प्रत्याशी घोषित कर दिया जाए. तिलक नगर के पार्षद राजेश सिंह के दिन भी ठीक नहीं चल रहे भले ही वे उपमुख्यमंत्री अरुण साव के नजदीकी है लेकिन वे आरक्षण के चलते पार्षद चुनाव नहीं लड पाएंगे. जिला भाजपा अध्यक्ष भी नहीं बन पाये, दीपक सिंह को जिला भाजपा अध्यक्ष का पद मिल गया. महापौर चुनाव लड़ने की बारी आई तो महापौर का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया. अब क्य़ा बचा रह गया?

 

 

 

 

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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