भाकपा माओवादी संगठन पूर्णतः विघटन की कगार पर है. जहाँ न तो कोई सक्षम नेतृत्व बचा है और न ही कोई रणनीतिक दिशा:आई जी बस्तर

जगदलपुर | बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने कहा है कि भाकपा माओवादी संगठन आज पूर्णतः विघटन की कगार पर है. जहाँ न तो कोई सक्षम नेतृत्व बचा है और न ही कोई रणनीतिक दिशा.

।माओवादियों द्वारा जारी विज्ञप्ति पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सुंदरराज पी ने कहा कि यह एक नेतृत्वविहीन और बिखरती हुई संगठन की प्रासंगिकता बनाए रखने की अंतिम कोशिश है.

गौरतलब है कि  सीपीआई माओवादी ने अपने महासचिव नंबाला केशव राव ऊर्फ बसवराजू समेत 28 माओवादियों के मारे जाने को लेकर एक बयान जारी करते हुए कहा था कि क्रांतिकारी विचारों को ख़त्म करना संभव नहीं है.

 इस विज्ञप्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए बस्तर के आईजी पुलिस सुंदरराज पी ने कहा कि बसवराजु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं अब बेमानी हैं. उनकी मौत के साथ ही यह आंदोलन अपनी वैचारिक और संचालन क्षमता भी खो चुका है. यह माना जा सकता है कि बसवराजु ही इस अवैध संगठन का अंतिम महासचिव था.

सुंदरराज ने कहा कि 21 मई 2025 भारत के वामपंथी उग्रवाद विरोधी इतिहास में एक निर्णायक दिन के रूप में याद किया जाएगा. मारे गए बसवराजु, जो कि माओवादी संगठन के सर्वोच्च नेता थे, की मौत से संगठन को केवल सैन्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी गहरा आघात पहुंचा है. माओवादी आंदोलन के मुख्य गढ़ में 27 सशस्त्र उग्रवादियों का खात्मा सुरक्षा बलों की दृढ़ता और प्रभावशीलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.

आईजीपी सुंदरराज पी ने कहा कि बसवराजु कोई शहीद नहीं था, बल्कि वह आतंक और हिंसा के युग का मुख्य सूत्रधार था, जिसने हजारों निर्दोष आदिवासियों, महिलाओं और बच्चों की हत्या करवाई, और सैकड़ों सुरक्षाबलों को आईईडी धमाकों और घात लगाकर किए गए हमलों में मौत के घाट उतारा. ऐसे व्यक्ति को “जननायक” के रूप में चित्रित करना न केवल भ्रामक है, बल्कि उन वीरों और नागरिकों का घोर अपमान है जिन्होंने बस्तर की शांति और समृद्धि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.

उन्होंने कहा कि लगातार चलाए जा रहे खुफिया आधारित अभियानों के कारण संगठन टुकड़ों में बिखर चुका है और अब मूलभूत समन्वय बनाए रखने में भी असमर्थ दिख रहा है.

सुंदरराज ने माओवादियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अब माओवादी कैडरों के पास एकमात्र सम्मानजनक विकल्प यह है कि वे आत्मसमर्पण करें, हिंसा का रास्ता छोड़ें और समाज की मुख्यधारा में लौटें. सरकार लगातार पुनर्वास और शांतिपूर्ण जीवन की पेशकश कर रही है. परंतु यदि कुछ तत्व अब भी इस अवसर को नजरअंदाज करते हैं, तो उनका अंत निकट और निश्चित है।

 

 

 

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निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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