मेडिको लीगल मामले में पुलिस का दोहरा मापदंड क्यों? शहर के 8 थानों के लिए अलग नियम ,शेष थाना अंतर्गत हुए मेडिको लीगल मामलों में सिम्स चौकी को जिम्मेदारी,पीड़ित पक्ष और पुलिस का समय होता है बर्बाद,पोस्टमार्टम में लग जाता है दो दिन

बिलासपुर ।

बिलासपुर ।दुर्घटना,जहर खुरानी,हत्या, आत्महत्या आदि के मामले जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में मेडिको लीगल केस कहा जाता है। ऐसे सारे मामलों में पुलिस जांच,पोस्टमार्टम आदि होते है। यह तो सामान्य सी बात है लेकिन सिम्स अस्पताल की पुलिस चौकी के अमले की दिक्कत दूसरे प्रकार की है । दरअसल शहर के 8 थानों को छोड़कर जिले के अन्य सभी थाना अंतर्गत घटित मेडिको लीगल केस के सारे मामलों में सिम्स पुलिस चौकी ही 0 मे मर्ग कायम कर पी एम कराकर डायरी तैयार कर संबंधित थाने को पूरी रिपोर्ट भेज देती ये है उसके बाद संबंधित थाना जांच पश्चात कार्रवाई करती है लेकिन शहर के 8 थानों कोतवाली,सिविल लाईन,कोनी सिरगिट्टी,सरकंडा,तोरवा,सकरी और तारबाहर के मेडिको लीगल मामले सिम्स चौकी के जिम्मे नहीं है जिससे दुर्घटना के शिकार या आत्महत्या ,हत्या,जहर खुरानी करने वालों के परिवार पी एम से लेकर पी एम रिपोर्ट पुलिस कार्रवाई के लिए सिम्स चौकी से लेकर संबंधित थाने का चक्कर लगाते है जिससे वक्त की सिम्स चौकी कर्मचारी,मृतक के परिजनों और संबंधित थाने के अधिकारी कर्मचारी की समय की बरबादी होती है। पुलिस कर्मी भी अनावश्यक मर्ग मेमो लेकर भागदौड़ करते है । कायदे से तो यह होना चाहिए कि मेडिको लीगल (मर्ग) के तमाम मामले की जिम्मेदारी सिम्स चौकी की होनी चाहिए। ऐसा होता है तो प्रभावित परिवार और संबंधित थाने के पुलिस कर्मचारी को अनावश्यक भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। आई जी , एस एस पी चाहें तो यह व्यवस्था बना सकते है।

विचार करिए कि किसी की हत्या होती है,कोई आत्म हत्या कर लेता है या कोई सड़क दुर्घटना में खत्म हो जाता है तो उनका परिवार शव प्राप्त करने पुलिस कार्रवाई को पूरा करने पुलिस थाना ,पुलिस चौकी,अस्पताल का चक्कर लगाते रहे और 24 से 36 घंटे लग जाते हो तो उस परिवार पर क्या बीतती होगी । ऐसा ही एक मामला कल थाना सकरी का आया जिसमे मृतक की मृत्यु लगभग दोपहर 3 बजे हुई लेकिन उसका पी एम शाम 5 बजे तक नही हों पाया परिजन सकरी थाना और सिम्स का चक्कर काटने रहे रात भर रोते बिलखते रहे दुसरे दिन 11-12 बजे उनका पी एम हों पाया ऐसी ही धटना बार बार देखने कों मिलती हैं इसलिए सवाल ये उठता हैं कि जब पुरे प्रदेश स्तर का पी एम सिम्स चौकी वाले कर रहे हैं तों

शहर के इन 8 थानों को बाकी के थानों के मेडिको लीगल(पी एम) की कार्रवाई से अलग क्यों रखा गया है यह तो पुलिस के अधिकारी ही जाने लेकिन यदि सभी थाना अंतर्गत घटित मेडिको लीगल की कार्रवाई एक समान जैसे हो तो पीड़ित परिवार और पुलिस की समय की बचत होगी ।

सिम्स पुलिस चौकी की जिम्मेदारी की बात कहें तो बाहर के मेडिको लीगल मामलों में भी बड़ी भूमिका होती है । जिले और प्रदेश के बाहर भी दुर्घटना आदि होने की स्थिति में घायल को सिम्स रिफर करने और उपचार के दौरान मृत्यु होने पर पी एम रिपोर्ट से लेकर बयान लेने और मर्ग इंटिमेशन संबंधित थाना को भेजने का काम सिम्स चौकी की पुलिस करती है। यानि घटना स्थल के थाना को ये सब नहीं करना पड़ता और प्राप्त पी एम रिपोर्ट तथा मर्ग इंटिमेशन व गवाहों के प्राप्त बयान के आधार पर संबंधित थाना कार्रवाई करती है।

इसीलिए शहर के 8 थानों के कर्मचारियों को सिम्स आदि का अनावश्यक चक्कर लगाने से बचाने पी एम रिपोर्ट ,बयान , मर्ग इंटिमेशन भेजने की जिम्मेदारी सिम्स पुलिस चौकी को दी जानी चाहिए वैसे भी सिम्स चौकी का अमला मेडिको लीगल मामले नहीं होने की स्थिति में खाली बैठे रहते है।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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