
बिलासपुर। आधारशिला विद्या मंदिर न्यू सैनिक स्कूल में शनिवार को जीवन रक्षक सीपीआर (Cardio-Pulmonary Resuscitation) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आईएससीसीएम (ISCCM) एवं आईआरसीएफ (IRCF) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं विद्यालय समुदाय को आपात स्थिति में जीवन बचाने के कौशल से सशक्त बनाना है।कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों डॉ. सिद्धार्थ वर्मा (अध्यक्ष, रोटरी ई-क्लब एवं आईएससीसीएम बिलासपुर) और डॉ बलदेव नेताम तथा श्री प्रकाश माहेश्वरी को लघु पौध देकर किया गया। इसके पश्चात डॉ . सिद्धार्थ ने सभी को चिकित्सकीय जागरूकता देते हुए,सीपी आर के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सीपीआर एक आपातकालीन तकनीक है जिसमें छाती पर दबाव (Chest Compression) और कृत्रिम श्वसन (Artificial Breathing) देकर मरीज के हृदय और फेफड़ों को दोबारा सक्रिय सीपीआर एक आपातकालीन तकनीक है जिसमें छाती पर दबाव (Chest Compression) और कृत्रिम श्वसन (Artificial Breathing) देकर मरीज के हृदय और फेफड़ों को दोबारा सक्रिय करने का प्रयास किया जाता है। इसका उद्देश्य है –रक्त का प्रवाह मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक बनाए रखना तथा हृदय और श्वसन तंत्र को पुनः चालू करने का अवसर देना।
सी पी आर कब देना चाहिए ये बताते हुए उन्होंने कि सी पी आर तभी देना चाहिए जब –. व्यक्ति बेहोश हो और प्रतिक्रिया न दे तथा उसकी सांस बंद हो गई हो या बहुत धीमी या फिर नाड़ी (Pulse) महसूस न हो।
सी पी आर देने की विधि के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले सुरक्षा की जांच कर लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित कर लें कि मरीज और आप सुरक्षित हैं। उसके पश्चात चेतना जाँच करते हुए – मरीज को हल्के से हिलाकर आवाज दें।यदि मरीज कोई प्रतिक्रिया न दे,तो श्वसन कि जाँच करें और देखें कि मुँह और नाक से सांस चल रही है या नहीं । यदि परिणाम समस्या जनक दिखे तो तुरंत आपात सहायता बुलाएँ और एम्बुलेंस या चिकित्सा सहायता के लिए फोन करें।
उन्होंने सीपीआर प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए विद्यार्थियों को डमी के माध्यम से प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया और बताया कि सबसे पहले मरीज को सीधी कठोर सतह पर लिटाएँ और हाथ की हथेलियों को एक-दूसरे पर रखकर छाती के बीच (Sternum) पर रखें।प्रति मिनट लगभग 100–120 दबाव दें (गहराई 5–6 सेमी)।30 दबाव देने के बाद 2 कृत्रिम श्वसन दें (यदि संभव हो तो मुँह से मुँह या मास्क द्वारा)।यह क्रम (30 दबाव : 2 सांस) तब तक जारी रखें जब तक मदद न मिल जाए या मरीज की सांस और नाड़ी वापस न आ जाए। विद्यार्थियों ने इस जीवन रक्षक प्रक्रिया की सम्पूर्ण बारीकियों को समझा और इससे संबंधित सवालों का जवाब भी दिया तथा विशेषज्ञों ने सीपीआर तकनीक का प्रत्यक्ष प्रदर्शन कर,विद्यार्थियों और शिक्षको को जीवन रक्षक उपायों का अभ्यास कराया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया तथा इस कार्यक्रम को सफल बनाने वाले सभी अतिथियों एवं प्रशिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर विद्यालय के चेयरमेन डॉ अजय श्रीवास्तव, निदेशक एस के जनास्वामी,प्राचार्या श्रीमती जी आर मधुलिका एवं शिक्षकगण उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन कक्षा दसवीं छात्रा गूंज सिंह पटेल और वैशाली साहू ने किया।
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Sat Aug 30 , 2025
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