बिलासपुर । जी हां भाजपा में जो कुछ भी नजर आ रहा है उससे तो यही सवाल उठ रहा है कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई? क्या कुछ बड़ा होने वाला है या फिर भाजपाई चुपचाप घर बैठ जाएंगे ?या फिर यह समय परिवर्तन का दौर है सोचकर समझौता कर लेंगे? कई तरह के सवाल उठ रहे लेकिन इन सवालों का खरा खरा जवाब देने भाजपाई मुंह नहीं खोल रहे है लेकिन इतना जरूर है कि साय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद न्यायधानी में भाजपा कार्यकर्ताओं में भीतर ही भीतर पार्टी के खिलाफ जमकर आक्रोश है । भाजपा खेमे में मायूसी छाई हुई है। मंत्रिमंडल विस्तार में बिलासपुर जिले की उपेक्षा को लेकर यहां तक कहा जाने लगा है कि यदि आज विधानसभा चुनाव हो जाए तो जिले से भाजपा का सफाया हो जाएगा। कार्यकताओं का आक्रोश इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है हालांकि आक्रोश को प्रगट करने के बजाय कार्यकर्ता भीतर ही भीतर उबल रहे है ।केंद्र से लेकर राज्यों तक मोदी ,शाह की भाजपा ने जिस तरह पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा कर विरोधी पार्टी के नए नए आए नेताओं को उपकृत करने का बीड़ा उठाया है उसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं को आत्मग्लानि हो रही है ।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाने में पार्टी के जमीनी और कर्मठ कार्यकर्ताओं का भारी योगदान रहा है। भूपेश सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और भाजपा के पक्ष में वोटरों को तैयार करने ने कार्यकताओं ने दिन रात एक कर दिया था ।सरकार बनी तो मंत्रिमंडल गठन के वक्त भाजपा संगठन के तमाम नेताओं ओ पी माथुर पवन साय,शिवप्रकाश, नितिन नवीन आदि बिलासपुर जिले के लिए मौन रहे। ये संगठन पदाधिकारी भविष्य में यहां आयेंगे तो कार्यकर्ता उनसे जिले की उपेक्षा को लेकर सवाल किए तो ये क्या जवाब देंगे? बिलासपुर और मुंगेली जिले में 8 विधानसभा क्षेत्र है जिसमें से 6 पर भाजपा और 2 पर कांग्रेस का कब्जा है लेकिन भाजपा ने इन जिलों के पार्टी विधायकों को शर्मिंदगी के लिए छोड़ दिया है ।
भाजपा संगठन के नेता चुनाव के दौरान यहां आकर बड़े बड़े होटलों में रुके मगर बिलासपुर जिले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देने की बात आई संगठन के ये पदाधिकारी मौन होकर रह गए। अब अगर इन पदाधिकारियों का कही दौरा होता है तो माहौल निश्चित रूप से बदला हुआ रहेगा । पुरानी भाजपा के दौरान तो संगठन के पदाधिकारी ट्रेन से आते और रिक्शे में बैठकर पार्टी कार्यालय पहुंचते ।रात्रि विश्राम भी पार्टी कार्यालय करते लेकिन अब की भाजपा में तो पार्टी संगठन नेता महंगी कारों में पहुंचते है और पार्टी कार्यालय में रुकने के बजाय महंगे होटलों में ठहरते है । संगठन पदाधिकारी अब सुविधाभोगी हो चुके है।
बात मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने की हो रही थी तो यह भी जान लीजिए कि अविभाजित बिलासपुर जिले ने मुख्यमंत्री भी दिया है । भाजपा कम से कम इसका तो मान रखती लेकिन भाजपा के वरिष्ठों को तो विरोधी पार्टी से आए और नए नवेले विधायकों को उपकृत करना था । यदि ऐसा ही रहा तो पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को भाजपा के पक्ष में उठ खड़े होने के लिए सोचना पड़ेगा ।
बिलासपुर जिले से अमर अग्रवाल , धरम लाल कौशिक, धरमजीत सिंह ,सुशांत शुक्ला और मुंगेली जिले से पुन्नू लाल मोहले भाजपा के विधायक है। मुंगेली जिले से अरुण साव जो पहली बार विधायक बने ,को उपमुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन अमर अग्रवाल ,धरमजीत सिंह और पुन्नू लाल मोहले तो कई बार के वरिष्ठ और अनुभवी विधायक है। इन सभी विधायकों की उपेक्षा कर भाजपा के शीर्ष नेता क्या बताना चाहते हैं वहीं जानें। इतना अवश्य है कि मुंगेली और बिलासपुर जिले के वरिष्ठ विधायकों की उपेक्षा भाजपा को महंगी पड़ेगी । बात नए विधायकों और दूसरी पार्टी से भाजपा में शामिल हुए विधायकों को मंत्री बनाने में प्राथमिकता देने की है तो फिर धरमजीत सिंह और सुशांत शुक्ला ने क्या बिगाड़ा था?
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भाजपा के कार्यकर्ता और विधायकों के समर्थक अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है ।वे जनता के सवालों का जवाब देने से कतरा रहे है। कई निराश कार्यकर्ताओं ने तो यहां तक कह दिया कि अब उनकी बात प्रशासन का कोई भी अधिकारी नहीं सुन रहा है। अब तो पार्टी के प्रति सक्रियता दिखाना मूर्खता है । इससे अच्छा है चुपचाप अब घर बैठो और व्यवसाय पर ध्यान दो। भाजपा ने जो दगाबाजी की है उसका हिसाब जनता करेगी ।
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176
Mon Aug 25 , 2025
बिलासपुर। कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अभय नारायण राय ने रलिया-भिलई में प्रस्तावित अरपा कोल बेनिफिकेशन ग्रीनफील्ड लिमिटेड की जनसुनवाई का तीव्र विरोध करते हुए कहा कि पूर्व में जब एक बार सुनवाई रद्द हो चुकी है तो अधिकारियों को इतनी जल्दबाजी क्यों है ? फिर से जनसुनवाई करने में अधिकारियों […]