पत्रकारिता से जन सरोकार गायब, कार्पोरेट घरानों का वर्चस्व,ललित सुरजन जयंती पर डॉ. सुशील त्रिवेदी का व्याख्यान

देशबन्धु प्रतिभा प्रोत्साहन कोष का आयोजन

रायपुर, 23 जुलाई । सेवानिवृत्त आईएएस और पूर्व राज्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. सुशील त्रिवेदी का कहना है आज पत्रकारिता के सामने चार प्रमुख चुनौतियां है। उन्होंने कहा पत्रकारिता अब व्यवसाय बन गया है। पहले समाचार पत्र निकालने वालों की चिंता देश और समाज सेवा होती थी। आज की पत्रकारिता का संबंध तीनों से नहीं है। अब पत्रकारिता व्यवसाय बढ़ाने का माध्यम बन गया है। यह बड़ा परिवर्तन आया है।

पहले चार पेज के अखबार प्रकाशित होते थे। आज 30 पेज के निकलते है और सात रूपए में देते है। इसी तरह राजनीति का दबाव व हस्तक्षेप बढ़ गया है। छोटे अखबार जो बचे है अपने विचार स्वतंत्र रखकर छाप रहे है उनके लिए चुनौती है।ललित सुरजन की जयंती पर आयोजित सम्मान समारोह में समकालीन पत्रकारिता और चुनौतियां पर श्री त्रिवेदी ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा हमारे संपादक अब प्रबंधक हो गए है। जो मालिक व्यवसायिक हित के लिए है, पत्रकारिता में कार्पोरेट घरानों का वर्चस्व होने को चुनौती बताते हुए कहा समाचार पत्र, रेडियो, इंटरनेट सबकुछ एक ही मालिक के अधीन हैजो सबको कंट्रोल कर रहा है। ग्रामीण पत्रकारिता जिसके लिए देशबन्धु जाना जाता था। यह अब पूरे देश से गायब है।

2 बड़े उद्योगपतियों के पास आज 80 फीसदी मिडिया है। जिसमें फिल्म, क्राइम और राजनीति की खबरे अधिक रहती है। पहले सिद्धांत और विचार प्रधान होते थे। आज इनकी जगह पेड न्यूज का वर्चस्व है।आर्टिफिशियल विजन को हिन्दी भाषी अखबारों के लिए एक बड़ी चुनौती बताते हुए श्री त्रिवेदी ने कहा यह सबसे बड़ा संकट है। मानवीय संवेदना गायब हो गई है। सरकार में भी सामाजिक मूल्य, निजता, बच्चों की सेवा की चिंता नहीं बची है। केवल बड़े बड़े स्ट्रक्चर निर्माण में लगे है। उन्होंने कहा इंटरनेट के चलते आज लोगों के पास जानकारी है लेकिन उनके पास खुद का ज्ञान नहीं है। पत्रकारिता का भी यही हाल है। सामाजिक संवेदनाएं तो पूरी तरह से गायब हो गई है।

श्री त्रिवेदी ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा उन्होंने 105 वर्ष पहले यह कहा था कि पत्रकारिता में जिस तरह सतहीपन पक्षघर बेईमान घुस गए है, वह ईमानदार लोगों को गलत रास्ते पर ले जा रही है। पत्रकारिता ने कार्पोरेट घरानों को समर्पित कर दिया इसलिए पत्रकारिता के लक्ष्य बदल गए। उन्होंने कहा नई टेक्नोलॉजी को अपनाना है लेकिन मानवीयता और विश्वसनीयता को बचाकर।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महंत रामसुंदर दास ने कहा स्व. ललित सुरजन एक व्यक्ति नहीं संस्था थे। पत्रकारिता में सामाजिक सरोकार को वे सबसे ऊपर रखते थे। इसके चलते पत्रकारिता जगत में आज देशबन्धु का नाम है। उनके द्वारा स्थापित देशबन्धु प्रतिभा प्रोत्साहन कोष से सहायता प्राप्त बच्चे आज कई बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत है। उनका यह कार्य प्रेरणादायी है।

मुख्य अतिथि रायपुर उत्तर विधायक पुरंदर मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा हमें ललित सुरजन के बताए हुए काम पर चलते हुए आगे बढऩा है।

देशबन्धु प्रतिभा प्रोत्साहन कोष द्वारा देश के ख्यातिनाम पत्रकार, देशबन्धु पत्र समूह के प्रधान संपादक एवं प्रतिभा प्रोत्साहन कोष के संस्थापक ललित सुरजन की जयंति पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें केके सुगंधी द्वारा लक्ष्मी देवी सुगंधी शिक्षक अवार्ड एवं डॉ. अशोक शर्मा द्वारा स्थापित प्रो. विजयलक्ष्मी शर्मा स्मृति एवं शिव प्रसाद शर्मा स्मृति सम्मान भी प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों के स्वागत उपरांत संस्था के अध्यक्ष शिव टावरी ने स्वागत भाषण में संस्था के विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्य संरक्षक श्रीमती माया सुरजन का अभिनंदन किया गया। श्रीमती तरूशिखा सुरजन, रामाधार पटेल ने स्मृति चिन्ह भेंट की। संस्था के सचिव एसआर घाटगे ने कार्यक्रम का संचालन किया। देशबन्धु भोपाल के संपादक पलाश सुरजन ने आभार माना। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार एवं प्रबुद्धजन उपस्थित थे। देशबन्धु कार्यालय में भी ललित सुरजन को पुष्पांजलि देकर नमन किया गया।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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