बिलासपुर के कांग्रेस नेताओं को मुंगेली ,तखतपुर के नतीजे से सबक लेनी चाहिए,आपसी कलह और गुटीय विवाद ने पार्टी का कर दिया मटियामेट


संगठन में बदलाव होना अब जरूरी

बिलासपुर ।वैसे तो नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह पराजय हुई है और इसके लिए शीर्ष नेतृत्व तो जिम्मेदार है ही,स्थानीय पदाधिकारियों स्वेच्छाचारिता और मनमाना रवैया भी कम जिम्मेदार नहीं है लेकिन गुटों में बंटे बिलासपुर के कांग्रेसियो को मुंगेली और तखतपुर से आए नतीजे से सबक लेना चाहिए क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में भी तखतपुर मुंगेली के जमीनी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस का झंडा बुलंद रखते हुए बेहतर प्रदर्शन कर अध्यक्ष और ढेर सारे पार्षद प्रत्याशियों को जीता कर लाए और अपने शहर को भाजपा के मायाजाल से बचा कर रखा ।
प्रदेश भर में नगरीय निकायों के चुनाव के परिणाम आ चुके है । ऐतिहासिक सफलता मिलने पर चारों तरफ भाजपा उत्सव मन रही है । प्रदेश में भगवा का जलवा हो गया लेकिन सबसे बुरी हालत कांग्रेस की है । कांग्रेस से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले खुद तो हारे ,कांग्रेस प्रत्याशियों को भी हारने में भाजपा की मदद किए । यानि मेरी एक आंख फूटे कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगले की दोनों आंख फूट गई तो मजा आ रहा है। कांग्रेस नेताओं के टिकट वितरण से जो आक्रोश दिखा वही से भाजपा की जीत की पटकथा तैयार हो गई। भाजपा नेता यह कहते नहीं थक रहे कि मोदी की गारंटी,अटल विश्वास,विष्णुदेव साय का सुशासन,देव तुल्य कार्यकर्ता की मेहनत और महतारी वंदन के आशीर्वाद से भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव में प्रचंड जीत कि लेकिन उससे भी बड़ी बात यह कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस में होते सिर फुटौवल को देख मन बना लिया था । कांग्रेस के अंदर भीतर घात करने वालों की बाढ़ सी आ गई ।पार्टी के अंदर बगावत को देखने के बाद भी कांग्रेस के जिला स्तर से लेकर प्रदेश तक के पदाधिकारी चुनाव को छोड़ गुटीय विरोधियों को पार्टी से बाहर करने सूची बनाने में बिजी हो गए । जिसका लाभ भाजपा को मिला । इतना सब कुछ होने के बाद भी भाजपा का गढ़ समझे जाने वाले मुंगेली में कांग्रेस ने भाजपा को आईना दिखा दिया । मुंगेली और तखतपुर में भाजपा का बवंडर वोटरों को नहीं डिगा सका और इन दोनों स्थानों में भाजपा की साख गिर गई । दोनों ही स्थानों में भाजपा के विधायक है।यह पार्टी के लिए चिंतन का विषय हो सकता है मगर बिलासपुर के कांग्रेस नेताओं को मुंगेली और तखतपुर के परिणामों से सीख लेनी चाहिए । कांग्रेस संगठन में भी बदलाव का सिलसिला शुरू होने चाहिए।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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