
⚫ छत्तीसगढ़–आंध्र प्रदेश सीमा पर सुरक्षा बलों द्वारा की गई समन्वित कार्रवाई ने हाल के वर्षों में CPI-माओवादी को सबसे निर्णायक झटका दिया है।
⚫ आंध्र प्रदेश के ASR जिले में आज (19 नवंबर 2025) हुई मुठभेड़ में AOBSZC सदस्य टेक शंकर सहित सात माओवादी मारे गए।
⚫ पुख्ता जानकारी के आधार पर, आंध्र प्रदेश पुलिस ने अल्लूरी सीताराम राजू जिले में तड़के माओवादियों के साथ मुठभेड़ की।
⚫ मुठभेड़ के बाद चले सर्च ऑपरेशन में सात शव बरामद हुए, जिनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण नेता शामिल हैं:
■ मेट्टूरी जोगा राव @ टेक शंकर – SZCM, इंचार्ज AOB
■ ज्योति @ सरिता – DVCM
■ सुरेश @ रमेश
■ लोकेश @ गणेश
■ सैने @ वासु
■ अनीता
■ शम्मी — ये सभी एसीएम रैंक के कैडर, जो पूर्व में जगरगुंडा–दक्षिण बस्तर डिवीजन में सक्रिय थे।
⚫ मौके से AK-47 राइफल सहित बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है।
⚫ इसी दौरान समांतर अभियानों में, आंध्र प्रदेश पुलिस ने काकीनाडा, कृष्णा, विजयवाड़ा और ASR जिलों से 50 माओवादी कैडरों को गिरफ्तार किया, जिनमें दंडकारण्य के वरिष्ठ ऑपरेटिव मदन्ना, मनीला, पोडियम रेंगु, सोड़ी लछु, उड्डे रघु आदि शामिल हैं। आगे की कानूनी कार्रवाई बस्तर पुलिस के साथ समन्वय में की जा रही है।
⚫ ये कार्रवाई 18 नवंबर 2025 को हुई उस महत्वपूर्ण ऑपरेशन के बाद हुई है, जिसमें आंध्र प्रदेश पुलिस ने माडवी हिडमा — CPI-माओवादी केंद्रीय समिति सदस्य, DKSZC सचिव और PLGA बटालियन नंबर 01 का कमांडर — को उसकी पत्नी मडकम राजे @ रजक्का सहित पाँच अन्य कैडरों के साथ मार गिराया था।
⚫ ऑपरेशन से यह भी पुष्टि हुई है कि हिडमा की कोर प्रोटेक्शन टीम AP–छत्तीसगढ़–तेलंगाना की सीमा पर पुनर्गठन का प्रयास कर रही थी, तभी इन्हें बलों ने रोक लिया।
⚫ हिडमा का मारा जाना — जो दंडकारण्य का सबसे हिंसक और ख़तरनाक माओवादी कमांडर था — एक ऐतिहासिक मोड़ है। उसकी मौत के साथ CPI-माओवादी ने अपना मुख्य गुरिल्ला रणनीतिकार, बड़े हमलों का प्रमुख योजनाकार और बस्तर में शांति व विकास का सबसे बड़ा बाधक खो दिया है।
⚫ बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक श्री सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि इन हालिया सफलताओं ने स्थायी शांति की दिशा में एक निर्णायक कदम सुनिश्चित किया है। “बस्तर के लोगों को गहरी राहत और भरोसा मिला है” तथा “शांति निर्माण के लिए अभूतपूर्व अवसर बने हैं।” वर्तमान परिस्थितियों में बचे हुए माओवादी कैडरों के पास अब केवल एक ही विकल्प है — हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होना। सीमावर्ती राज्यों की सुरक्षा बल भी नक्सल हिंसा को समाप्त करने के लिए समान रूप से प्रतिबद्ध हैं। ऐसे में शरण लेने और अपनी हिंसक गतिविधियाँ जारी रखने के इरादे से अन्य राज्यों में भाग जाना अब माओवादी कैडरों के लिए कोई विकल्प नहीं रह गया है।
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176
Fri Nov 21 , 2025
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