सिम्स में विश्व मधुमेह दिवस पर जागरूकता शिविर एवं संगोष्ठी का आयोजन

बिलासपुर, 14 नवंबर। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) में मेडिसिन विभाग द्वारा शुक्रवार को मधुमेह जागरूकता शिविर एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मरीज, नर्सिंग स्टाफ, मेडिकल विद्यार्थी एवं विभिन्न विभागों के चिकित्सक शामिल हुए।अस्पताल परिसर में आयोजित यादृच्छिक रक्त शर्करा (रेंडम ब्लड शुगर) जाँच शिविर में 385मरीजों की मुफ्त शुगर जाँच की गई। साथ ही फाइब्रो-स्कैन सुविधा के माध्यम से फैटी लिवर एवं लीवर फाइब्रोसिस की स्क्रीनिंग315 लोगो की गई। शिविर के दौरान लोगों को मधुमेह के लक्षण, बचाव, नियंत्रण तथा जीवनशैली में सुधार से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी दी गई।

ओपीडी शिविर का संचालन श्रीमती योगिता वर्मा एवं एमआरडी शिविर का संचालन पुष्पलता शर्मा द्वारा किया गया। संगोष्ठी का आयोजन भी पुष्पलता शर्मा के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। डॉक्टर हेमंत (पीजी प्रथम वर्ष) और डॉक्टर अनमोल ने सहायक चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।

संगोष्ठी मे मुख्य वक्ता डॉ. आशुतोष कोरी ने कहा कि—“मधुमेह अब सिर्फ वृद्धावस्था तक सीमित नहीं है। गलत जीवनशैली, तनाव और अनियमित खान-पान के कारण युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। समय पर जाँच, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है।”

सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने कहा—

“मधुमेह हृदय, गुर्दे, आँखों तथा नसों पर गंभीर प्रभाव डालता है। जनता को जागरूक करना हमारा दायित्व है और ऐसे शिविर स्वास्थ्य शिक्षा को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम हैं।”डॉ. प्रभात श्रीवास्तव ने विशेषज्ञों के साथ मिलकर मधुमेह के कारण, लक्षण, खान-पान, जीवनशैली, उपचार एवं स्वयं की देखभाल पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति ने बताया—मधुमेह का प्रभाव ऑपरेशन के दौरान मरीज की प्रतिक्रिया और संभावित जटिलताओं पर पड़ता है, इसलिए सर्जरी से पहले शुगर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है।

मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रभारी चिकित्साधीक्षक डॉ. अमित ठाकुर ने कहा—लोग प्रायः मधुमेह को गंभीरता से नहीं लेते, जबकि यह शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित कर सकता है। नियमित दवा, शारीरिक गतिविधि और नियंत्रित भोजन इसके प्रबंधन की मुख्य कुंजी है।”

रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने फाइब्रो-स्कैन की महत्ता पर कहा—मधुमेह के कारण लीवर रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। फाइब्रो-स्कैन के माध्यम से शुरुआती अवस्था में ही फैटी लिवर एवं फाइब्रोसिस का पता लगाकर उचित उपचार समय पर शुरू किया जा सकता है।” मंच संचालन दीपा शर्मा द्वारा किया गया ।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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