
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, बिलासपुर में क्षय मरीजों की ड्रग रेसिस्टेंस टीबी का पता लगाने की सुविधा शीघ्र शुरू होने वाली है। मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति द्वारा आज आईसीएमआर प्रोजेक्ट के अंतर्गत पैथोडिटेक्ट आरटीपीसीआर मशीन हेतु प्रपोजल भेजा गया है। इस मशीन की सहायता से एक महीने में मिलने वाली जांच रिपोर्ट महज तीन घंटे में मिल जाएगी। इस पैथोडिटेक्ट आरटीपीसीआर मशीन प्रारंभ होने पर ड्रग रेसिस्टेंट टीबी की जांच माइक्रोबायोलॉजी विभाग में की जायेगी।
सिम्स में क्षय (टी.बी.) रोग की जांच हेतु सिम्स बिलासपुर में एक वर्ष में लगभग 15 हजार मरीज आते है। जिसमें से लगभग 2 हजार मरीजों की जांच होती है। जिसमें लगभग 350 पॉजिटिव मरीज पाये जाते है।
वर्तमान में संस्थान में टी.बी. की जांच हो रही है। जिसमें 01 ही ड्रग रिफेम्पसीन रेसिसटेंस का ही पता चल पाता है। लेकिन पैथोडिटेक्ट आरटीपीसीआर मशीन से जांच प्रारम्भ होने पर रिफेम्पसीन एवं आईसोनियाजिड ट्रंग का मात्र 03 घंटे में ही पता चल पायेगा। इससे मरीजों को अन्य टी.बी. की दवाईयां दी जा सकती है। जिससे मरीजों को ईलाज में जल्द ही स्वास्थ्य लाभ मिल पायेगा। बिलासपुर संभाग के पहुंच विहीन व दूरस्थ गांव में निवासरत क्षय (टीबी) रोग के संभावित मरीजों की जांच किया जाएगा। जिससे प्रदेश की आम जनता लाभान्वित होगी एवं उपरोक्त मरीजों को सही एवं त्वरित उपचार मिल पायेगा।
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“क्षय रोग परीक्षण ईलाज एवं प्रबंधन की दिशा में राज्य शासन एवं आईसीएमआर. प्रदत्त पैथोडिटेक्ट आरटीपीसीआर मशीन अंचल के लिए सौगात होगी। ड्रग रेसिस्टेंट केसेस की जांच शीघ्रता से की जा सकेगी।”
डॉ. रमणेश मूर्ति, अधीक्षक, सिम्स
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Sun Aug 17 , 2025
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