मुख्यमंत्री फिर गए दिल्ली ,मंत्रिमंडल विस्तार के फिर होने लगी कयास ,आखिर और कब तक करना पड़ेगा इंतजार

*डेढ़ साल से सिर्फ इंतजार,आखिर कब होगा मंत्रिमंडल का विस्तार

लोकसभा चुनाव हो गया,नगरीय निकायों का भी चुनाव सम्पन्न और तो और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी निपट गए*
*मंत्रियों की दौड़ में आस लगाए विधायक अब निराश हो चुके*
बिलासपुर । कहते हैं जो मजा इंतजार में है वो मुलाकात में कहां? इसीलिए  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने फिर कह दिया है कि इंतजार करिए । श्री साय कल दिल्ली क्या गए मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें मीडिया में फिर होने लगी। मंत्रिमंडल विस्तार की खबरें लिखते लिखते मीडिया वालों की उंगली घिस जाएगी मगर मंत्रिमंडल के विस्तार की गुंजाइश नहीं दिख रही । अब नवरात्रि में विस्तार का शिगूफा फैल गया है। दस दिन बाद पी एम नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ आ रहे इसलिए दस दिन तो कोई गुंजाइश नहीं दिख रही । मंत्री बनने की इच्छा पाल रखे माननीय विधायकों अभी तक सब्र किए हो तो आगे भी सब्र रखो क्योंकि और कोई विकल्प नहीं है ।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने डेढ़ साल हो रहे लेकिन मंत्रिमंडल के विस्तार का अता पता नहीं है। मंत्री बनने की आस में जो विधायक हैं वे भी अब निराश हो चले है। सरकार गठन के बाद साय मंत्रिमंडल में नए और पहली बार विधायक बने चेहरों को शामिल करने से कई वरिष्ठ पूर्व मंत्रियों को मंत्री नहीं बन पाने का दुख अपने सीने में दबाए यह सोचकर कि मंत्री मंडल के विस्तार के समय उनका नाम जरूर आएगा ,खामोश रह गए मगर उनकी खामोशी की अब इंतहा हो चुकी है। 
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,भाजपा संगठन के केंद्रीय नेता और केंद्रीय मंत्री तक पिछले डेढ़ साल से मंत्रिमंडल का विस्तार बहुत जल्द किया जाएगा कहते हुए दिलासा देते रहे है। इसी बीच लोकसभा चुनाव हो गया । मंत्री नहीं बनाए गए वरिष्ठ विधायकों को लोकसभा चुनाव जितवाने की जिम्मेदारी पार्टी द्वारा दी गई। नतीजन 11 में 10 सीटें भाजपा की झोली में गई इसका मतलब साफ था कि पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों को पार्टी ने जो जिम्मेदारी सौंपी थी उसमें खरे उतरे लेकिन इन पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों को इसका इनाम पार्टी ने नहीं दिया और लगभग आदेशात्मक रूप से “लगे रहो” “मेहनत करो” की सीख दी गई । लोकसभा चुनाव में इतना अच्छा रिजल्ट मिलने के बाद भी मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया गया।
मंत्रिमंडल के विस्तार का मुहूर्त आगे खिसकता रहा।मंत्री बनने की प्रतीक्षा कर रहे पूर्व विधायकों के पास इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। जैसे तैसे सरकार बने एक साल बीत गए फिर भी मंत्रिमंडल के विस्तार की कोई सुगबुगाहट या शोर सुनाई नहीं दिया।इसके बाद नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव आ गए। ये दोनों चुनाव भी सफलता पूर्वक संपन्न करा लिए गए लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की पक्की तारीख मुकर्रर नहीं की जा सकी । मंत्री मंडल की अनेकों बार बैठक हो चुकी,भाजपा संगठन में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की कई बार बैठक हो चुकी लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार के मुद्दे पर कोई चर्चा भी नहीं करना चाहता । कई पूर्व मंत्री,वरिष्ठ विधायक अपने पुराने संबंधों का हवाला दे दिल्ली तक अपने पक्ष में गोटी बिछाने की कोशिश की मगर उनकी मेहनत रंग लाती नहीं दिख रही।
पूर्व मंत्रियों अजय चंद्राकर,राजेश मूणत आदि की बात छोड़ दें तो बिलासपुर जिले में पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक जोगी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होकर विधायक बने धर्मजीत सिंह तथा पुन्नू लाल मोहले जैसे विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर किसी भी तरह के बयानबाजी से परहेज कर रहे है लेकिन अपने से काफी जूनियर और पहली बार विधायक बनने के बाद ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए चेहरे के कार्यक्रमों में शामिल होने और स्वागत करने की पीड़ा को मंत्री पद से वंचित विधायक ही अच्छी तरह समझ सकते है।कुछ विधायक तो समय समय पर सरकार और मंत्री को घेरने की कोशिश भी कर रहे है इसके बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार की कोई खुशखबरी नहीं आ रही।
भाजपा की सरकार गठित होने के बाद जिन नए विधायकों को मंत्री पद से नवाजा गया ,डेढ़ साल में इन मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा करने का काम सरकार और पार्टी संगठन का है।इनके रिपोर्ट कार्ड को सार्वजनिक चूंकि नहीं करना था इसलिए नहीं किया गया।लेकिन इन नए नवेले मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा जनता तो करती ही है । कई मंत्री डेढ़ साल में सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र में ही सक्रिय रहे है । पूरे प्रदेश से उनको कोई चिंता नहीं है।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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