बिलासपुर। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के मापदंडों के अनुरूप सिम्स आयुर्विज्ञान संस्थान में एमबीबीएस के छात्रों को उपचार की प्रक्रिया में दक्ष बनाने,कौशल दक्ष केंद्र कक्ष ( स्कील स्लैब ) की शुरुआत की गई हैं।
सिम्स आयुर्वेद विज्ञान संस्थान ( मेडिकल कॉलेज) में 150 मेडिकल छात्र हैं जिनकी पढ़ाई एवं मरीजों का बेहतर उपचार करने कौशल विकास दक्षता केंद्र खोला गया हैं ताकि एमबीबीएस के छात्रों को इलाज की प्रक्रिया प्रथम सेमेस्टर से ही सिखाया जा रहा है.
सिम्स मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. रमेश मूर्ति चर्चा करते हुए बताया कि एमबीबीएस के छात्रों को उपचार की दक्षता सिखाने कौशल दक्षता केंद्र 2 जनवरी से खोला गया हैं.एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ.श्रीमती मधुमिता मूर्ति के संयोजन में औऱ डॉ.केशव कश्यप को संयोजक बनाया गया हैं। श्री मूर्ति ने बताया की एमबीबीएस के छात्रों को फाइनल ईयर कंप्लीट करने के बाद इंटर्नशिप के दौरान मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज किस प्रकार करना हैं सिखाया जाता था जैसे की ब्लड ड्रा करना, मरीज को आईबीलाइन लगाना , प्रसव के दौरान गर्भाशय से बच्चे को कैसे निकाला जाता हैं, सर्जरी,स्टीच करना, आँख,नाक-कान,गला से संबंधित कई बीमारी हैं उपचार के दौरान कई जटिलताएं होती हैं मेडिकल छात्रों को इसे पहले समझना औऱ सीखना आवश्यक हैंइसके लिए सिम्स में एक अलग कक्षा कौशल दक्ष केंद्र खोला गया हैं जहां रबर के बने हुए मानव पुतला रखे है इन पर इलाज की प्रक्रिया सिखाई जायेगी। डाक्टर मूर्ति ने बताया कि असल में हमने कोविड -19 के दौरान में इसे सबक के तौर पर सीखा हैं क्योंकि मरीजों की बढ़ती संख्या औऱ चिकित्सको की कमी को देखते हुए हमने उपचार की सारी जटिल प्रक्रिया एमबीबीएस के छात्रों को प्रथम सेमेस्टर से ही सिखाने का निर्णय लिया हैं. इसकी शुरुआत अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज से की जा चुकी है अब सिम्स मेडिकल कॉलेज में यह कौशल दक्षता केंद्र खोला गया हैं। मेडिकल कॉलेज के अलग-अलग विभाग अध्यक्षों द्वारा अलग-अलग पालियों में छात्रों को इलाज की सारी पद्धति सिखाया जाएगा। इसके अलावा रोजाना कितने बच्चे क्लास अटेंड कर रहे हैं उन्होंने इलाज का क्या गुर सीखा और समझा, क्योंकि जब तक डमी में वह मुकम्मल तरीके से इलाज करने की ट्रेनिंग लें लेंगे तभी वे मरीजों का इलाज करने में सक्षम हो पाएंगे।

