भाजपा के बड़े नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि बिलासपुर विधानसभा के मतदाताओं ने अमर अग्रवाल को मंत्री बनाने के लिए भाजपा को जिताया था
बिलासपुर. साय मंत्रिमण्डल के विस्तार का मुहूर्त लगातार टलने से मंत्रीपद के दावेदारों में निराशा हो चली है. साल भर पहले प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो सर्वाधिक नुकसान बिलासपुर का हुआ. मंत्रिमण्डल बिलासपुर विहीन रहा लेकिन पिछले 9 माह से मंत्रिमंडल के पुनर्गठन की जब जब चर्चा गर्म रही तब तब यह उम्मीद जगी कि बिलासपुर की भरपाई हो जाएगी. अभी भी उम्मीद ही की जा सकती है.
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने के बाद बिलासपुर वासियों को पूरा भरोसा था कि रमन सिंह की सरकार में वित्त और नगरीय निकाय तथा स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी सम्भालने वाले वर्तमान भाजपा विधायक अमर अग्रवाल को वरिष्ठता के नाते मह्त्व पूर्ण विभाग का मंत्री पद दिया जाएगा लेकिन मंत्रिमंडल की सूची आई तो बिलासपुर वासी ठगे से रह गए. भाजपा से बिलासपुर वासियों को ऐसी उम्मीद नहीं थी. मंत्रिमंडल में बिलासपुर की उपेक्षा किए जाने का कारण क्या हो सकता है यह तो मंत्रिमंडल बनाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और संगठन चलाने वाले पदाधिकारी ही जाने लेकिन बिलासपुर की जनता ने भाजपा को इसलिए ही जिताया था कि यहां के विधायक को केबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. मंत्रियों की सूची में बिलासपुर की उपेक्षा किए जाने से बिलासपुर के मतदाताओं के मन मे भाजपा के प्रति लगाव मे निश्चित ही कमी आई है और इसका असर नगरीय निकाय चुनाव में दिखे तो आश्चर्य नहीं होगा. मंत्रिमंडल के सम्भावित विस्तार में बिलासपुर को शामिल कर क्षेत्रीय असंतुलन को दूर किया जा सकता है हालांकि किसे मंत्री बनाना है और किसे नहीं यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है और कई तरह के संतुलन का ध्यान रखा जाता है लेकिन मंत्रिमंडल में बिलासपुर का हक बनता है. अभी कई सूत्रों से दावा किया जा रहा है कि विधायक अमर अग्रवाल को मंत्रिमण्डल में शामिल किया जा रहा है मगर बिलासपुर वासियों को तभी भरोसा होगा जब मंत्रिमंडल का विस्तार हो और अमर अग्रवाल का नाम उसमे शामिल हो. कुछ रणनीति कार ऐसा भी कहते आ रहे कि उप मुख्यमंत्री अरुण साव को और सांसद. साहू को केंद्रीय राज्य मंत्री बना दिए जाने के बाद बिलासपुर का दावा खत्म हो जाता है लेकिन अरुण साव बिलासपुर नहीं बल्कि मुंगेली ज़िले के विधायक है और सांसद साहू भले ही बिलासपुर के सांसद है मगर वे केंद्र में मंत्री है. बिलासपुर का दावा खत्म होने की बात कहना बिलासपुर के दावे को सुनियोजित ढंग से कमजोर करने की साजिश ही कही जा सकती है.

