अटल बिहारी बाजपेई विवि के दीक्षांत समारोह में विधायक सुशांत शुक्ला की उपेक्षा और स्मारिका में केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू का तिरस्कार आखिर क्यों? कहीं कोई बड़ी राजनैतिक साजिश का हिस्सा तो नहीं ? विवि में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ियों की उपेक्षा आखिर कब तक होती रहेगी?

बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह तो संपन्न हो गया लेकिन कई अनसुलझे प्रश्न भी छोड़ गया है ।  वि वि की स्थापना जिन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई थी आज उन उद्देश्यों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। छत्तीसगढ़िया लोगों का बाहरी लोगों द्वारा खुलकर अपमान और उपेक्षा की जा रही है । दीक्षांत समारोह में इसकी बानगी स्पष्ट तौर पर दिख गई ।

वि वि बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में आता है लेकिन इस क्षेत्र के विधायक सुशांत शुक्ला को दर्शक दीर्घा में बैठने को विवश होना पड़ा । सुशांत शुक्ला सिर्फ विधायक नहीं बल्कि वे 3 विधानसभा क्षेत्र के सचेतक भी हैं मगर उन्हें दीक्षांत समारोह के मंच पर जगह नहीं मिली । यह तो सिर्फ विधायक की उपेक्षा की बात हुई । वि वि प्रबंधन ने बिलासपुर के सांसद और छत्तीसगढ़ के एक मात्र केंद्रीय मंत्री तोखन साहू को दीक्षांत समारोह के स्मारिका पुस्तक में कही जगह नहीं दी गई। स्मारिका कोई एक दिन में तैयार नहीं हो जाता बल्कि स्मारिका प्रकाशन में माह भर तो जरूर लगता है और फिर इसकी जानकारी कुलपति को न हो ये तो हो ही नहीं सकता । बड़ा प्रश्न यह है कि विधायक और सांसद तथा छग के एक मात्र केंद्रीय मंत्री की वि वि द्वारा उपेक्षा कही कोई सुनियोजित तो नहीं है? यदि ऐसा है तो वि वि प्रबंधन ने किसकी शह और किसके दबाव तथा किसके निर्देश पर सत्तारूढ़ दल के ही विधायक और सांसद की उपेक्षा करने की हिम्मत की है?
विश्वविद्यालय में गड़बड़ी और धांधली तो अब आम बात हो गई है । वहां जो भी आयोजन समय समय पर आयोजित किए जाते है उसका छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया लोगों से कोई वास्ता नहीं होता । बाहरी लोगों के लिए यह विश्वविद्यालय चारागाह बनकर रह गया है । यहां तक तो आम बात है लेकिन बाहरी लोग अब राजनैतिक संरक्षण पाकर यहां के लोगों को सींग भी मारने लगे है । आखिर ऐसा कब तक चलेगा ? कुप्रबंधन और धांधली के लगातार आरोपों पर जांच कमेटी तो बन जाती है लेकिन जांच का नतीजा क्या होता है सब जानते है।
वि वि में राष्ट्रीय स्तर के कार्यशाला से कम की बात नहीं होती और उन कार्यशालाओं में जिन महानुभावों को हायर करके बुलाया जाता है उससे छत्तीसगढ़ का क्या भला होता है और अब तक क्या भला हो पाया है यह वि वि प्रबंधन ही जाने।
दरअसल वि वि के वर्तमान कुलपति फरवरी में सेवानिवृत होने वाले है ।सूत्र बताते है कि वे अपना कार्यकाल बढ़वाने के लिए राजनैतिक स्तर पर प्रयास कर रहे है।

विधायक अनेक हैं *लेकिन सांसद तो एक ही हैं न। दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में  केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद  तोखन साहू  का नाम *अति विशिष्ट अतिथि* में शामिल करने की औपचारिकता की गई परंतु प्रकाशित स्मारिका में
केंद्र सरकार में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले *बिलासपुर के सांसद-केंद्रीय मंत्री तोखन साहू का संदेश /फ़ोटो , जीवन परिचय स्मारिका में शामिल नहीं किया गया है.इस तरह के कृत्य असहनीय है।ऐसी कार्रवाई अनायास नहीं होती। निश्चित तौर पर ये सुनियोजित  है..सवाल लाख टके का -सुनियोजित साज़िश का सूत्रधार कौन ?
किसके दबाव/प्रभाव या दुर्भावना वश साज़िश को क्रियान्वित किया गया ?साज़िशकर्ता राजनेता,
या विश्वविद्यालय प्रबंधन (कुलपति-कुलसचिव )?
: आत्म मुग्ध कुलपति ए डी एन बाजपेयी के कार्यकाल की उपलब्धि क्या है ?
स्वयं को महिमामंडित करने पद और विश्वविद्यालय के संसाधनों का उपयोग/दुरूपयोग सहित ठेका, सप्लाई और ख़रीदी में करोड़ों के भ्रष्टाचार के अतिरिक्त कोई  अन्य उल्लेखनीय उपलब्धि  ! जवाब नहीं! क्योंकि सच कड़वा होता है
: जहॉं कहीं विवाद /भ्रष्टाचार हो वहॉं ए डी एन बाजपेयी  का होना आवश्यक नहीं है लेकिन जहॉं ए डी एन बाजपेयी  होंगे वहॉं विवादों और गंभीर आरोपों का होना आवश्यक है…

हठधर्मिता का एक और उदाहरण :एक और डी पी विप्र महाविद्यालय को स्वायत्त महाविद्यालय घोषित का निर्णय छग हाईकोर्ट  के एकल बेंच ने दिया , विश्वविद्यालय ने डिविजन बैच  में अपील किया.. डीबी का निर्णय भी
डी पी विप्र महाविद्यालय के पक्ष आया मगर बाजपेयी जी  ने आज तक डीबी के निर्णय का सम्मान नहीं किया… शायद – सौदा नहीं पट रहा ? मामला अधर में है
पुनः बता दें श्री  बाजपेयी  फ़रवरी 2026 में रिटायर होने जा रहे, सेवा वृद्धि या कोई अन्य मलाईदार पद पर नियुक्ति के लिए मायाजाल फैलाते हुए राजनैतिक स्तर पर कोशिशें हो रही है लेकिन यक्ष प्रश्न यही है कि केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है और विवि के कार्यक्रम में सत्ताधारी दल के ही सांसद,केंद्रीय मंत्री और विधायक के साथ इस तरह के दोयम दर्जे के  व्यवहार होने के बाद भी सत्ताधारी दल भाजपा के नेता, पदाधिकारी,कार्यकर्ता और भाजपा संगठन के नेता और संघ के लोग मौन क्यों हैं? सबकी चुप्पी रहस्यमय हो गई है। वि वि प्रबंधन से कितने लोग उपकृत हो रहे है ? इनकी जमीर जगाने के लिए कोई तो सामने आए। गुरु घासीदास  केंद्रीय विश्वविद्यालय और अटल बिहारी बाजपेई विश्वविद्यालय में अब छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया की उपेक्षा बंद होनी ही चाहिए। सवाल तो यह भी है कि विश्विद्यालयों में कुलपति बनने के लायक योग्यता रखने वालों की छत्तीसगढ़ में क्या  कोई नहीं है जो हमेशा से बाहरी लोगों को थोपे जाने का चलन हो गया है।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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