मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कहीं भूपेश बघेल की राह पर तो नहीं चल रहे?मामला बिलासपुर को मंत्री विहीन रखने का !

बिलासपुर  । अंततः साय  मंत्रिमंडल के विस्तार का अधिकारिक न्योता जारी हो गया है। बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे राजभवन में मंत्री बनने वाले विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी । जिन तीन विधायकों को मंत्री पद देना है उन्हें राजभवन से बुलावा  मिल चुका है। बड़ा सवाल यह है कि क्या मंत्रिमंडल के विस्तार में बिलासपुर को जगह मिलेगी ? यदि बिलासपुर को जगह नहीं मिली तो यही माना जाएगा कि भाजपा नेताओं और केंद्र से लेकर राज्य शासन तक  को बिलासपुर की परवाह नहीं है। कांग्रेस शासनकाल में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिलासपुर से कांग्रेस का विधायक होने के बाद भी बिलासपुर को पूरे 5 साल तक मंत्री विहीन रखा था। प्रश्न यह उठता है कि क्या मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बिलासपुर को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं देने भूपेश बघेल की ही राह  पर चल रहे है?

ये मोदी और शाह की भाजपा है । अटल ,आडवाणी की  भाजपा   की तो  बहुत पहले ही बिदाई हो चुकी है। वर्तमान भाजपा में कुछ भी हो सकता है और अनजान कार्यकर्ता भी जहां  शीर्ष में स्थान पा सकता है तो बड़े कद्दावर नेताओं को घर में बैठने  या पद विहीन रहने विवश किया जा सकता है। ऐसे दर्जनों उदाहरण है। बात छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल के विस्तार की  है। विष्णुदेव साय एक ऐसे मुख्यमंत्री जिसे अपने कैबिनेट में   पार्टी के एक  विधायक को शामिल करने भारी जद्दोजेहद करना पड़ रहा है। स्वाभाविक है दुनिया की सबसे बड़ी! पार्टी  का मुख्यमंत्री होने के नाते पार्टी के मुखिया के आदेश पर निर्भर तो रहना ही पड़ेगा और फिर पार्टी से ऊपर एक और संस्था “संघ” है ।इसलिए संघ की पहली पसंद को आखिरी पसंद के रूप में मुख्यमंत्री  को स्वीकार करना ही पड़ेगा । 

राज्य में भाजपा की सरकार को दो साल होने जा रहा है और अब जाकर मंत्रिमंडल के विस्तार  का खाका तैयार हो सका है।इसके पहले जब जब विस्तार की बातें चली हर बार टलता ही गया। मंत्री बनने के लिए पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों को ऐसा इंतजार तो  रमन सरकार के 15 साल में भी नही करना पड़ा था । सरकार बनते ही सारे वरिष्ठ पूर्व मंत्रियों को दरकिनार कर पहली बार विधायक बने नए चेहरों को मौका दिया गया जिन्हें विभाग चलाने का कोई अनुभव नहीं था ।इसीलिए विधानसभा के सत्र में सवाल जवाब के दौरान इन नए मंत्रियों को जवाब देते नहीं बन रहा था । फिर भी सरकार सायं सायं चल रही है  कहकर संतोष किया जा रहा है। सरकार के समक्ष दुविधा भी है कि नए को हटाएं तब भी विरोध और पुराने को कैबिनेट में स्थान न मिले तो आंतरिक कलह  की आशंका । वैसे सरकार बनने के बाद से ही कुछ पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों की नाराजगी तो सार्वजनिक रूप से दिख रही है । वैसे यह भी सही है कि  कैबिनेट के पुनर्गठन में जिनको भी मंत्री बनाया जाएगा उससे सिवाय खर्च बढ़ने के कुछ हासिल नहीं होने वाला है। तीन साल कार्यकाल के मंत्रियों के पास काम करने के लिए सिर्फ दो साल ही रहेंगे। मोदी शाह  वाली भाजपा में पुराने मंत्रियों को दरकिनार कर पद विहीन  विधायक रखने का सरकार और पार्टी पर क्या असर पड़ेगा यह आने वाले दिनों में दिखेगा । 

प्रदेश में  वर्तमान भाजपा  की सरकार ने राजनैतिक दृष्टि से  बिलासपुर को एकदम बौना साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। दो साल हो गए बिलासपुर जिला मंत्रीविहीन होकर रह गया है। इससे तो अच्छा अविभाजित मप्र में बिलासपुर की स्थिति थी एक समय मप्र मंत्रिमंडल में बिलासपुर अविभाजित जिले से 7 कैबिनेट मंत्री रहे है। छग राज्य बनने के बाद वर्तमान में बिलासपुर एक अदद मंत्री के लिए तरस गया है। उपमुख्यमंत्री अरुण साव और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू मुंगेली जिले का प्रतिनिधित्व करते है । बिलासपुर के विधायक ,पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को बिलासपुर की जनता ने मंत्री बने इस लिहाज से भाजपा को जिताया है । मंत्री बनाने का अधिकार यदि जनता के पास होती तो बिलासपुर के मतदाता यह भी कर दिखाते। 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंत्री मंडल गठन के वक्त बिलासपुर को शामिल नहीं किए जाने शहरवासी यह सोचकर मन को दिलासा दिए थे कि मंत्रिमंडल का  विस्तार होने पर बिलासपुर की भरपाई हो जाएगी और उसके लिए पौने दो साल से सिर्फ इंतजार ही किया जा रहा है लेकिन आज जब अधिकारिक रूप से मंत्रिमंडल के विस्तार और विधायकों को नेवता की खबर आने के साथ ही संभावित मंत्रियों के नामों में सिर्फ नए चेहरों की खबरें आ रही है उससे  कई तरह की आशंकाएं और गुटीय राजनीति की चर्चाएं है। कल सुबह जब राजभवन में शपथ कार्यक्रम हो तो यह आशंकाएं और चर्चाएं निर्मूल साबित हो यही  बिलासपुर के हित में होगा लेकिन देर शाम तक जिस तरह की खबरें आ रही है उससे बिलासपुर की झोली खाली ही रहने की संभावना दिख रही है । इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलने को लेकर यह चर्चा हो रही है कि उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया जा सकता है  ।यदि ऐसा होता है तो ऐसे में एक संभावना जरूर दिख रही है छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष पद पर बिलासपुर या बिल्हा के विधायक को मौका दिया जा सकता है।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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