बिलासपुर। । आज जब पूरे देश में जाति ,धर्म को लेकर सुनियोजित ढंग से एक दूसरे से लड़ाया जा रहा है । देश में जाति विशेष को लेकर दंगे फसाद हो रहे है ,दुकानों में नाम की पट्टिका लगाने बाध्य किया जा रहा है । दशकों के प्रेम ,सद्भाव और सामाजिक एकता को एक झटके में खत्म करने की सुनियोजित कोशिशें हो रही है और एक दूसरे को जान का दुश्मन बनाने के लिए धर्म की अफीम चटाया जा रहा है , लव जिहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दे हर शहर में उठाया जा रहा है ऐसे में खरसिया नगर से 15 किलोमीटर दूर भूपदेवपुर रेलवे स्टेशन के पास सामाजिक सौहार्द की बानगी देखने को मिलती है। यहां स्थित हजरत सैयद अली मीरा दातार की दरगाह पर जैन और सर्व हिंदू समाज द्वारा पूजा एवं 111 वर्षों से देखभाल की जाती है। यह सामाजिक सौहाद्र उन लोगों के गाल पर करारा तमाचा है जो धर्म की आड में सीधे साधे लोगो को बरगलाने का काम कर रहे है ।
उल्लेखनीय है कि 111 वर्ष पूर्व जैन व्यापारी पूनमचंद शाह “रिवार द्वारा गुजरात के ऊनावा नामक गुख्य स्थानक से हजरत सैयद मीरा दातार के % पाटे एवं घोड़े की आकृति% को भूपदेवपुर लाकर स्थापित किया गया। तब से 2015 तक क्रमशः स्व. पूनमचंद शाह, बाबूलाल मेहता, रविन्द्र भाई शाह, अमृतलाल जैन, नानालाल मेहता, श्रेणिक मेहता व स्थानीय अग्रवाल परिवार द्वारा इस दातार का संचालन व पूजा आदि किया गया। 2015 के बाद से यह कार्य भार पारस मेहता व स्थानीय अग्रवाल परिवार द्वारा किया जा रहा है। इस क्षेत्र के आसपास इसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है जैन और हिंदू परिवार द्वारा प्रत्येक गुरुवार को पूजा की जाती है जिसमें आसपास के सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं और अपनी मन्नतें मांगते हैं ।
साल में एक बार आयोजित होता है मीरा दातार का उर्स
साल में एक बार मीरा दातार का उर्स लगता है ।फूल 26 जुलाई को इसका आयोजन हुआ जिसमें छाया विधायक महेश साहू को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया यहां के सामाजिक और धार्मिक सौहार्द की मिसाल को देखकर गदगद महेश साहू ने उपस्थित लोगों की जमकर प्रशंसा की और सभी की मान्यता पूरी होने की दुआ करते हुए क्षेत्र की खुशहाली की कामना की और चादर चढ़ा कर नारियल और अगरबत्ती से पूजा की। जैन परिवार के मुकेश जैन ने बताया कि हगारे पूर्वज पूनम चंद शाह जो कि किसी वजह से स्वस्थ नहीं हो रहे थे वह मीरा दातार दरगाह उंझा में जाकर स्वस्थ हो गए तभी से गुजरात के उंझा स्थित दरगाह से चांदी का घोड़ा और पाटा लाकर यहां स्थापित किया धीरे-धीरे इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई ।
इसकी पूजा हिंदुओं और जैन समाज द्वारा की जाती है यहां लोक मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर चांदी का घोड़ा चढ़ाते हैं साल में एक बार उर्स लगता है जिसमें चांदी के घोड़े और पाटा को शुद्ध जल से स्नान करवाने के पश्चात उसे जल को भक्तों में वितरित किया जाता है/
मान्यता है कि इस जल से लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है यहां खासकर मानसिक रोगियों को लाभ होता है एवं जिन्हें संतान नहीं होती उन्हें संतान प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम हमारे परिवार द्वारा चादर चढ़ाई जाती है और प्रतिवर्ष चांदी का एक घोड़ा यहां चढ़ाया जाता है उसके पश्चात जिनकी मान्यता पूरी होती है वह चादर और चांदी का घोड़ा यहां चढ़ाते हैं सालाना उर्स के दिन विशाल भंडारे एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाता है आसपास के क्षेत्र के हजारों की संख्या में महिला पुरुष आते हैं। सदियों से, मानसिक रूप से पीड़ित या अवसादग्रस्त भारतीय महिलाओं को यहाँ शरण मिली है। इस दरगाह की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है और सभी धर्मों, जातियों और संप्रदायों के लोग साल भर चादर चढ़ाने और अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए यहाँ आते हैं। गुलाब और धूप की खशब आगंतुकों के नथुनों का स्वागत करती है। दरगाह पर गुलाब के फूल भी चढ़ाए जाते है।

