रतनपुर रोड के 8 कोयला डिपो का अस्तित्व संकट में ,कई डिपो संचालक दूसरी जगह तलाश रहे,संचालक का नाम बदलने और भागीदारी कम करने की भी हो रही कोशिश

बिलासपुर । प्रदेश शासन द्वारा रतन पुर से संदरी तक 8 कोयला डिपो बंद  कराने और उनका लाइसेंस नवीनीकरण नहीं करने की चर्चाओं के बीच कई डिपो संचालक तमाम जोर आजमाइश विफल हो जाने के बाद दूसरा ठीहा तलाशने सक्रिय हो गए है ।

बिलासपुर तथा आसपास कोयला ,रेत,जमीन का कारोबार पिछले कई वर्षों से सिर चढ़ कर बोल रहा है। ये तीनों धंधा आम लोगों के वश की बात नहीं है तीनों धंधे में राजनीति संरक्षण ,अधिकारियों और विभाग तथा प्रशासन की मिलीभगत का होना जरूरी है और इसमें पारंगत लोग ही इन तीनों धंधा में टिक पाते है। कोयले में मिलावट का खेल तो जग जाहिर है । रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन प्रशासन के नाक के नीचे होता आया है मगर खनिज विभाग के अधिकारी कभी कभार ही कार्रवाई करते है अन्यथा सब कुछ मिलीभगत से चलता है । कलेक्टर संजय अग्रवाल ने खनिज अमले पर कड़ाई की तब कहीं जाकर विभाग ने रेत के पहाड़ों पर कार्रवाई करना शुरू किया ।

उधर कोयला डिपो वाले तो सर्व शक्तिमान हो गए है ।  विभिन्न विभागों और अफसरों से संरक्षण और जी हुजूरी कर कई कोयला डिपो संचालकों का पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे कोयले में मिलावट और हेराफेरी कर रोज लाखों रुपए की काली कमाई करने वाले कई डिपो संचालकों की अब बोलती बंद हो गई है क्योंकि राज्य शासन ने कोयले की गड़बड़ी और अफरातफरी तथा चोरी रोकने अहम फैसला लिया है जिससे जमुनापाली कोयला खदान खुलने के बाद शहर के कई वैध – अवैध कोल व्यवसाई सकते में है क्योंकि नियम कानून के अनुसार कई लोगों को डिपो छोड़ना पड़ेगा अपना ठीहा किसी दूसरी जगह लगाना पड़ेगा। ऐसे कोल डिपो की संख्या 8 है।  यह चर्चा हमेशा रहती है कि कोयले का अवैध कारोबार करने वाले डिपो किराए पर लेकर हर महीने करोड़ों का अफरातफरी कर रहे है।

कोयले के भंडारण और परिवहन आदि को लेकर जो नियम बना है उसके अनुसार किसी भी कोयला खदान से 25 किलोमीटर के दायरे में कोई कोल डिपो नहीं खुलेगा। यह दूरी एयर डिस्टेंस में नापी जाती है। जमुनापाली में कोयला खदान खुलने के बाद 25 किलो मीटर के दायरे में सेंदरी तक एरिया आ रहा है। मतलब पाली से लेकर सेंदरी के बीच जितने भी वैध अवैध कोल डिपो चल रहे है अब बंद होने वाले है।  उन  8 कोल डिपो  में  अरपा फ्यूल – गतौरी/जलसों, कोल मेन लॉजिस्टिक इंडिया प्रा लि गतौरी ,जगदम्बे कोल ट्रेडिंग कंपनी पेंडरवा, ये ठाकुरदास कोटवानी का है लेकिन यहां कोयला का धंधा कोई और करता है। जय अंबे कोल बेनिफिकेशन भाड़ी, ये रामजीत सिंह के नाम पर है। कश्यप कोल डिपो लिम्हां, ये कोल डिपो जोगेंदर कश्यप के नाम पर है। बालाजी कोल ट्रेडिंग कंपनी गतौरी, ये डिपो दिलीप कुमार के नाम पर है। तारा ट्रेडर्स सांधीपारा रतनपुर ये कोल डिपो सूर्य प्रकाश गुप्ता के नाम पर है। इसी तरह मोहतराई में रमाकांत मौर्य का एक डिपो है। इनमें से कई डिपो किराए पर चल रहे है। डिपो लीगल होता है लेकिन कारोबार लीगल  किया जाता है,ऐसा नहीं है इनमें से कुछ डिपो का लाइसेंस अवधि 4 – 6 महीने ही बचा है। लिहाजा इनको आगे के नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। लेकिन जिन कोल डिपो के लाइसेंस नवीनीकरण का समय ज्यादा लंबा है उनके लाइसेंस बीच में निरस्त किया जा सकता है। क्योंकि इसके लिए मंत्रालय से मार्गदर्शन मांगा गया है। यदि ऊपर के अधिकारी सहमति  दे दिए तो बीच में ही लाइसेंस निरस्त हो जाएगा। इसी बीच कई ऐसे कथित  डिपो संचालक जो दूसरे के नाम पर अपना धंधा चमका रहे है ,कोयला डिपो के लिए दूसरे जगह की तलाश करना शुरू कर दिए है ।ऐसे लोग यदि कृषि भूमि पर कोयला डिपो संचालित करते है तो व्यवसायिक होने के नाते नजर रखने का काम खनिज विभाग का है ।

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176

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