
बिलासपुर। अटलबिहारी बाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर में बेला महंत के शोधकार्य की मौखिकी संपन्न हुई। उन्होंने डा.अंजलि शर्मा के निर्देशन में “कबीर की लोक व्यापकता और छत्तीसगढ़ी साहित्य पर उसका प्रभाव”, विषय पर
अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया था।कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने शोधार्थी से
अनेक प्रश्न पूछे और संतोषजनक उत्तर पाकर गवेषणापूर्ण स्तरीय
शोधकार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसके पूर्व मौखिक परीक्षक ने भी पी-एच.डी. प्रदान करने एवं शोध प्रबंध के प्रकाशन की अनुशंसा की।
आज जबकि शोध उपाधि प्राप्त करने की होड लगी हो। ऐसे में गंभीर शोध कार्य का उदाहरण मिलना दुर्लभ प्रसंग हो सकता है। बेला
महंत रिश्ते में हमारी अनुजा है और संप्रति शासकीय माता शबरी
नवीन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर में हिंदी की सहायक प्राध्यापक है।
उल्लेखनीय डा.बेला महंत ने एम.एस -सी.(रसायन) में प्रावीण्य सूची में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया था। तदनंतर शासकीय किरोड़ीमल
स्नातकोत्तर महाविद्यालय रायगढ़ में रसायन विभाग में अतिथि
प्राध्यापन कर रही थीं इसी बीच वह चूल्हा फूंकते हुए एम.ए.(हिंदी) में स्वर्ण पदक प्राप्त कर उत्तीर्ण हुई। उनके जीवन साथी डा.फूलदास महंत संप्रति शासकीय नवीन स्नातकोत्तर महाविद्यालय संकरी में सहायक प्राध्यापक (हिंदी) के रूप में कार्यरत हैंं।
उल्लेखनीय है डा बेला महंत की कबीर पर महत्वपूर्ण कृति प्रकाशित हो चुकी है। विगत दिनों डा.पालेश्वर प्रसाद शर्मा की कृति “मां महामाया ज्योति धाम रतनपुर” पर समीक्षात्मक वक्तव्य और रामधारी सिंह दिनकर के प्रदेय पर व्याख्यान के लिए डा. बेला की बहुत सराहना हुई थी।

