नगरीय निकाय/पंचायतों के चुनाव ; कांग्रेस की फजीहत तो गई अब भाजपा में क्या हो रहा?केबिनेट मंत्री भी संदेह के घेरे में,जांच कमेटी भी बना दी भाजपा संगठन ने,निष्कासन का सिलसिला शुरू

बिलासपुर। नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव के दौरान भीतरघात और पार्टी की अनेक जगह हार तथा कांग्रेस संगठन द्वारा पार्टी के लोगों पर की जा रही कार्रवाई का सत्ताधारी दल के नेता मजा लेते रहे लेकिन कांग्रेस में निष्कासन का बवंडर लगभग समाप्त हो गया और वहीं बवंडर अब भाजपा के ऊपर मंडरा रहा है ।  कोरबा,अकलतरा,बालोद,गुरूर जैसे और भी स्थानों में भाजपा की जो फजीहत हो रही है उससे पार्टी संगठन के नेता कसमसा रहे है । पार्टी की गुटीय राजनीति अब खुलकर सामने आ रही है । यह पहला अवसर है जब सवा साल के भाजपा सरकार में एक केबिनेट मंत्री को भी गुटीय राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है । केबिनेट मंत्री लखन लाल देवागन  को भाजपा संगठन द्वारा  नोटिस देकर 24 घंटे में जवाब मांगा जाना यह स्पष्ट करता है कि पार्टी के भीतर अनुशासन के नाम पर गुटीय राजनीति हावी हो रही है। कोरबा नगर निगम में भारी बहुमत के बाद भी सभापति चुनाव में भाजपा की हार ने यह बता दिया है कि पार्टी में अनुशासन के नाम पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता को गिरवी नहीं रखा जा सकता क्योंकि कोरबा के  भाजपा ने भी पार्टी की अनुशासन को तार तार कर दिया है।

भाजपा का गुटीय  विवादों से नाता छूटता नजर नहीं आ रहा है। कोरबा नगर निगम के  सभापति को लेकर पार्टी के भीतर व्याप्त असंतोष और क्रॉस वोटिंग का मामला जो उजागर हुआ है वह अभी ठंडा नहीं पड़ा है बल्कि कुछ और नेताओं पर कार्रवाई की गाज गिरने वाली है। कोरबा नगर निगम चुनाव में और भी बहुत कुछ हुआ है। एक अदद पार्षद की टिकट के लिए एक दो नहीं बल्कि 8 लाख रुपए मांगे जाने का मामला भी सामने आया है हालांकि सौदा 1 लाख में पट गया लेकिन एक लाख देने वाले को प्रत्याशी नहीं बनाया जाहिर है मामला उजागर होगा ही। एक सनसनीखेज खुलासा में नगरीय निकाय चुनाव में पार्षद की टिकट देने के लिए रुपए लेन-देन का खेल हुआ। टिकट नहीं मिली तो अब पैसे भी वापस नहीं किये जा रहे हैं। रुपए देने वाला पार्टी का 25 वर्ष पुराना कार्यकर्ता है जो न्यायालय जाने की राह पर है।

आरोप है कि बालको भा.ज.पा. मण्डल अध्यक्ष दिलेन्द्र यादव, पूर्व मंडल अध्यक्ष शिव बालक सिंह तोमर एवं वरिष्ठ  पार्षद सत्येन्द्र दुबे के द्वारा पार्षद टिकट दिलाने के नाम से 1 लाख रूपये लिए गए।
पीड़ित खोमन लाल देवांगन निवासी-पुराना रिसदा लालघाट वॉर्ड क्र. 38 का निवासी है। उसने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश संगठन मंत्री को बताया है कि वह विगत 10 वर्षों से भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता है, जो कि वर्तमान अध्यक्ष दीलेन्द्र यादव, पूर्व मण्डल अध्यक्ष शिव बालक सिंह तोमर, एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्येन्द्र दूबे के द्वारा पार्षद टिकट दिलाने के नाम से उससे 1 लाख राशि की मांग ली गई है।
जब निगम चुनाव-2025 के पार्षद टिकट के लिये मण्डल में आवेदन मंगाए जा रहे थे तब उसने भी मण्डल अध्यक्ष दिलेन्द्र यादव, शिव बालक सिंह तोमर, सत्येन्द्र दूबे को आवेदन दिया और चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की परंतु आवेदन देने के बाद शिव बालक सिंह तोमर और दीलेन्द्र यादव के साथ में रहने वाले निखिल मित्तल द्वारा उससे पहले 8 लाख रूपये की मांग की गई, फिर 8 लाख नहीं देने की बात कही तो 3 लाख रूपये फिर बाद भी पैसे की व्यवस्था नहीं होने की बात कही तो उसके अंतिम में एक लाख रूपये में सहमति बनी। फिर उन तीनों ने बालको ग्राउण्ड में बुलाकर 1 लाख रूपये नगद लिया और उस पैसे को अभी तक वापस नहीं किया है।
उसके बाद पीड़ित ने मण्डल अध्यक्ष को फोन करके पैसे देने की बात कही, फिर पूर्व मण्डल अध्यक्ष शिव बालक सिंह तोमर को भी पैसे देने की बात कही है और पैसे मिलने के बाद शिव बालक सिंह तोमर ने टिकट पक्की होने की बात कही है। चुनाव की तैयारी होने की बात कही, इसके बाद पीड़ित ने चुनाव की तैयारी प्रारंभ किया। जब टिकट फाइनल हुआ, तब उसका नाम नहीं आने पर पैसा वापस मागा, तब से आज तक पैसा वापस नहीं हुआ है।
जब पीड़ित ने  आग्रह किया है कि इस तरह का कार्य करने पर मण्डल अध्यक्ष दीलेन्द्र यादव, शिव बालक सिंह तोमर, सत्येन्द्र दूबे पर कार्यवाही की जाये एवं उसका 1 लाख रूपये वापस करवाया जाये, नहीं तो वह कानूनी प्रक्रिया में जाने के लिए बाध्य होगा।

कोरबा का पूरा मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उपमुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन  मंत्री अरुण साव  जिला कोरबा के प्रभारी मंत्री है। कोरबा के विधायक लखन लाल देवांगन भी केबिनेट मंत्री है । कोरबा निगम चुनाव में सभापति पद भाजपा की करारी हार से किस मंत्री को नुकसान और किस मंत्री का फायदा होगा यह आने वाला समय बताएगा । उल्लेखनीय है कोरबा में नगर पालिक निगम के सभापति चुनाव हेतु पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी हितानंद अग्रवाल के विरुद्ध जाकर चुनाव लड़ने पर आखिरकार नूतन सिंह ठाकुर पर निष्कासन की गाज गिर गई है। पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए प्राथमिक सदस्यता से भले ही  निष्कासित कर दिया है लेकिन सभापति तो वह बन गया।उसके निष्कासन के बाद पार्टी संगठन ने यहां के विधायक और केबिनेट मंत्री लखन देवांगन को भी नोटिस थमा दिया है। यही नहीं सभापति चुनाव की जांच करने एक कमेटी भी बिठा दिया गया है। कोरबा में भाजपा खेमे में लगता है गुटबाजी की गर्मी नहीं बल्कि अंधड़ और लू चल रही है।

कोरबा जिला में सवाल पर सवाल उठ रहे हैं कि अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध नूतन सिंह ठाकुर ने अकेले के दम पर खड़े होने की हिम्मत तो नही कर सकता, प्रारंभिक तौर पर प्रदेश मंत्री विकास महतो का नाम सामने आ रहा है जिन्होंने इन्हें आगे बढ़ाया और उनके साथ और भी पदाधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज शर्मा से लेकर सभापति चुनाव के पर्यवेक्षक पुरन्दर मिश्रा की रणनीति भी कैसे फेल हो गई यह जांच का प्रश्न है हालांकि, हितानंद अग्रवाल को सभापति प्रत्याशी के रूप में पार्षदों ने ही नकार दिया था,फिर भी उनका नाम लाए जाने के कारण ऐसी स्थिति बनी। बड़ा सवाल यह है कि नूतन को पार्टी से निष्काशित कर देने   के बाद क्या पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध चुनाव लड़ने के लिए हवा देने और माहौल तैयार करने वालों पर भी निष्कासन की गाज गिरेगी या फिर मामला ठंडा पड़ जाएगा। एक बात और कि पार्टी क्या उन 32 पार्षदों को भी बाहर का रास्ता दिखाएगी? पार्टी  उन 32 पार्षदों के नाम भी तलाश रही है जिन्होंने अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध जाकर वोट किया है। वैसे पार्षदों के आंकड़ों पर जाएं तो इसमें कुछ ऐसे भी पार्षद हैं जो दूसरे दल व निर्दलीय होने के बावजूद नूतन को सपोर्ट किए हैं लेकिन भाजपा अपने ही पार्टी के पार्षद पर कार्रवाई कर सकती है, लिहाजा अब पार्षदों की  चिंता सताने लगी है। चर्चा तो यह भी  हैं कि कुछ पार्षद पूरी तरह से एक्सपोज हो चुके हैं जिन्होंने खुलकर अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध बगावत की थी ।

 

सच्चाई तो यह है कि पार्टी से निष्कासन के बाद भी नूतन सिंह ठाकुर तो सभापति बने रहेंगे उनके विरुद्ध यदि  अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो उस अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराया जाकर निर्णय लिया जा सकता है। लेकिन यह सब अढ़ाई साल बाद ही संभव है।

भारतीय जनता पार्टी की कोरबा में हुई कार्रवाई का मामला ठंडा नहीं हुआ था कि  जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा में भाजपा के पार्षदों ने ही अपने उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी के खिलाफ में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से उपाध्यक्ष उम्मीदवार दिवाकर सिंह को जितवा दिया। नगर पालिका उपाध्यक्ष पद के लिए कुल 21 वोट डाले गए। इनमें सभी वोट वैध रही। कोई रद्द नहीं हुई। भाजपा की ओर से चार वोट क्रॉस हुई हैं। नगर की जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी को  नगरपालिका अध्यक्ष के लिए दीप्ति रोहित सारथी को जिताया था। उपाध्यक्ष के पद पर भाजपा के पास बहुमत होने के बावजूद कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया।
नगर पालिका अकलतरा के चुनाव में बहुमत के बाद भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के पार्षदों ने ही अपने उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी के खिलाफ में क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस से उपाध्यक्ष उम्मीदवार दिवाकर सिंह की ताजपोशी करा दी। नगर पालिका उपाध्यक्ष पद के लिए कुल 21 वोट डाले गए। इनमें सभी वोट वैध रही। कोई रद्द नहीं हुई। भाजपा की ओर से चार वोट क्रॉस हुई हैं।

अकलतरा नगरपालिका उपाध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस से दिवाकर राणा और बीजेपी से मुरलीधर मिश्रा को उम्मीदवार बनाया गया था। इस चुनाव में कांग्रेस के पाले में निर्दलीय सहित 09 मत थे। जबकि बीजेपी के पास 12 पार्षद थे। निर्वाचित नपा अध्यक्ष और 20 वार्ड के पार्षद ने अपने मतों का प्रयोग किया, जिसमें कांग्रेस के पक्ष में 13 तो भाजपा के उपाध्यक्ष प्रत्याशी को 8 वोट मिले। कांग्रेस के दिवाकर राणा नगरपालिका में उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए।भाजपा चूंकि सत्तारूढ़ पार्टी है इसलिए उसे दो चार स्थानीय चुनाव में हार भी मिली तो चिंतित नहीं होना चाहिए। गुरूर के जनपद पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा की एक  महिला  सदस्य ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ी और जीत भी गई । भाजपा ने उसे भी पार्टी से निष्काशित कर दिया है।

 

 

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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