
बिलासपुर,। कांग्रेस में पिछले एक सप्ताह से फजीहत और आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है । पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस की जग हंसाई में कोई कसर बाकी नहीं रखा है । एक दूसरे पर व्यक्तिगत आक्षेप भी शुरू हो गया है । पार्टी प्रमुख ने पूरे मामले पर जांच के लिए फेक्ट फाइंडिंग कमेटी बना दी है फिर भी कांग्रेस के स्थानीय नेता बेलगाम होकर बयानबाजी कर रहे है । पार्टी की ऐसी फजीहत इसके पहले शायद ही कभी हुई हो। सत्तापक्ष के नेता कांग्रेसी नेताओं के झगड़े का खूब मजा ले रहे है।
विधानसभा चुनाव में सत्ता से बेदखल होने के बाद भी कांग्रेस नेताओं के रवैए में कोई बदलाव नहीं आया ।उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी पार्टी की दुर्गति हुई तब इतनी तेजी से संगठन के नेताओं ने पार्टी के लोगों को निष्कासित नहीं किया जितना नगरीय निकायों के चुनाव में किया गया।पार्टी के गुट विशेष के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई से कांग्रेस में गुटीय विवाद खुलकर सामने आ गया ।एक महत्व पूर्ण तथ्य यह है कि विधानसभा चुनाव में जिले से दो कांग्रेस विधायक निर्वाचित हुए है और दोनों विधायक जिला कांग्रेस कमेटी के निशाने पर है । यदि दोनों विधायक के खिलाफ नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भीतरघात करने की शिकायत है तो संगठन के पदाधिकारियों को चाहिए था कि इसकी जानकारी पार्टी फोरम में दिया जाता लेकिन सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी करके पार्टी की छवि धूमिल की गई ।बड़ा सवाल यह है कि जिला संगठन क्या दोनों विधायकों को पार्टी से निष्कासन करके ही मानेगा? यदि ऐसा हुआ तो फिर जिले में कांग्रेस का एक भी विधायक शेष नहीं रहेगा । सवाल यह भी है संगठन आखिर दोनों विधायकों के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई क्यों चाहता है?लगातार चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए क्या संगठन की भी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती?हर चुनाव में पार्टी की हार पर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए संगठन के पदाधिकारियों को भी बहुत पहले पद छोड़ देनी चाहिए थी लेकिन ऐसा हो न सका । दरअसल प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उदासीन रवैया भी इसके लिए जिम्मेदार है ।नगरीय निकायों में टिकट वितरण को लेकर सबसे पहले विवाद शुरू हुआ । इस बात की तो जांच होनी ही चाहिए कि किस पदाधिकारी ने कहां और कितने दावेदारों को अपने ढंग से टिकट बांटी और उसमें कितने जीत कर आए?विधायकों ने यदि सचमुच में भीतरघात किया है तो साक्ष्य के साथ शिकायत पर उनके खिलाफ भी पी सी सी कार्रवाई करे लेकिन बड़े पदाधिकारियों और विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई चाहने वाले जिले के पदाधिकारी की इसके पीछे क्या मंशा है इसकी भी जांच पी सी सी को करवानी चाहिए। यह भी जांच होनी चाहिए कि इस पूरे विवाद के पीछे कही कोई साजिश तो नहीं हो रही?
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176
Fri Feb 21 , 2025
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