क्या छत्तीसगढ़ में भी वोटों की चोरी हुई थी ? एकतरफा और भारी भरकम रिकॉर्ड वोटों से भाजपा प्रत्याशियों की जीत का आखिर कारण क्या हो सकता है?

बिलासपुर । वोट चोरी के आरोप और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर पूरे देश में एक नए तरह का सवाल उठने लगा है। सवाल पूछने का अधिकार देश के हर नागरिक को है लेकिन सवाल करने पर सवाल उठाने और आपत्ति करने का देश में एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है। सवाल उठाने पर आखिर इतनी घबराहट क्यों है? विपक्ष सवाल न उठाए तो विपक्ष के रहने का कोई मतलब ही नहीं है। बात वोटों की चोरी का है जो राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन चुका है यह आसानी से पीछा नहीं छोड़ने वाला है।

कुछ तो बात है इन सबके पीछे

वोट चोरी का मुद्दा देर सबेर देश के हर राज्यों में उठ जाए तो आश्चर्य नहीं होगा भले ही इसकी सच्चाई जो भी हो। यही नहीं चुनाव आयोग पर आरोप यूं ही नहीं लगाया जा सकता उसके पीछे कुछ न कुछ तो वजह होगी।इसके पहले चुनाव आयोग पर इतने गंभीर आरोप नहीं लगे थे । ये भी हो सकता है देर सबेर सुप्रीम कोर्ट को इस पर दखल देना पड़ जाए।

छत्तीसगढ़ के नतीजे पर सवाल

बात जब वोटों की चोरी का है तो छत्तीसगढ़ में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे को नजर अंदाज करना जरूरी है। चुनाव के पहले तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी जैसी कोई बात नहीं थी फिर भी कांग्रेस की सोचनीय पराजय कई सवाल खड़े करते है। विधानसभा चुनाव को लगभग पौने दो साल हो गए लेकिन आज भी आम वोटरों (खासकर ग्रामीण मतदाता) को यह ताज्जुब होता है कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार कैसे चली गई? भाजपा के चुनावी रणनीतिकार कहते है कि मोदी का प्रभाव,महतारी वंदन योजना और धान का समर्थन मूल्य ये तीन कारणों से राज्य की जनता ने भाजपा की सरकार बनाई । भाजपा नेताओं के इस बात को यदि मान भी लें तो भी भाजपा के प्रत्याशी जितने वोटो के अंतर से जीते है वह अविश्वसनीय लगता है ।

महतारी वंदन,समर्थन मूल्य और मोदी का जादू यदि चला तो  बिलासपुर संभाग में पीछे क्यों?

भाजपा के महतारी वंदन योजना ,धान का समर्थन मूल्य और मोदी का जादू चुनाव में यदि चला तो बड़ा सवाल यह है कि यह जादू आखिर पूरे प्रदेश में क्यों नहीं चला?इसका बड़ा प्रमाण चुनावी नजीते से पता चलता है। भारतीय जनता पार्टी ने लाइन से विधानसभा क्षेत्रों बिल्हा,बिलासपुर, बेलतरा, तखतपुर,मुंगेली, लोरमी, पंडरिया,कबीरधाम,राजनांदगांव, साजा, बेमेतरा आदि क्षेत्र जीत दर्ज की। भाजपा के प्रत्याशी 5,7 हजार वोटो से नहीं बल्कि अकल्पीय वोटो के अंतर से चुनाव जीते। इस पूरी पट्टी में कांग्रेस का खाता नहीं खुला,सोचनीय पराजय हुई मगर वहीं दूसरी तरफ बिलासपुर से आगे लाइन से मस्तूरी,पामगढ़,अकलतरा,सकती, चांपा,कटघोरा,कोटा,तानाखार चंद्रपुर आदि में भाजपा का खाता नहीं खुला और कांग्रेस की सम्मानजनक जीत हुई। इन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का दावा :मोदी का जादू,महतारी वंदन योजना और धान का समर्थन मूल्य क्यों निष्प्रभावी रहा? इस यक्ष प्रश्न का जवाब भाजपा के किसी नेता के पास नहीं है ।प्रश्न उठता है इन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने क्या किसी कांग्रेस नेता से हारने की डील की थी?

चुनाव परिणाम से पहले ही एक्जेक्ट 55 सीट जीतने का आंकड़ा कहां से आया?

एक प्रश्न और अनुत्तरित है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के पहले डा रमन सिंह का बयान आया था कि भाजपा 55 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बना रही है । ये एक्जेक्ट आंकड़े कहां से आए? चूंकि ताना खार के भाजपा प्रत्याशी रामदयाल उईके के वाहन में मतदान के ठीक पहले लाखों रुपए नकद बरामद हुए इस कारण वे चुनाव हार गए इस वजह से भाजपा की एक सीट कम होकर 54 पर अटक गई । जीत का ऐसा परफेक्ट आंकड़ा तो टीवी चैनल वाले भी नहीं बता पाते ।

जीत में वोटो का भारी भरकम अंतर संदेह के लिए पर्याप्त

सबसे बड़ा संदेह भाजपा प्रत्याशियों के जीत में जो वोटो का अंतर है उसमें होता है । पांच से सात हजार वोटो के अंतर से जीत पर सबको भरोसा हो जाता है लेकिन 20 हजार से 70 हजार तक के वोटो का अंतर संदेह तो पैदा करता है। अब जबकि पूरे देश में वोटो की चोरी के आरोप लग रहे है तो छत्तीसगढ़ उससे अछूता कैसे रह सकता है?

निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक मोबाइल:- / अशरफी लाल सोनी 9827167176

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