
बिलासपुर । पश्चिम बंगाल के 12 मजदूर जिन्हें कोंडागांव पुलिस ने बांग्लादेशी कहकर गिरफ्तार किया था और बाद में भारतीय नागरिक होने के कारण छोड़ दिया था,जी की याचिका पर हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शासन को नोटिस जारी किया है।
याचिका में 12 मजदूरों के खिलाफ की गई धारा 128 की कार्रवाई को रद्द करने और₹100000 मुआवजे की मांग के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य में स्वतंत्रता पूर्वक रोजगार करने के लिए सुरक्षा की मांग की गई है।
राज्य शासन दो सप्ताह में जवाब देगा उसके बाद फिर सुनवाई होगी।
पश्चिम बंगाल के कृष्ण नगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के निवासी महबूब शेख और 11 अन्य लोगों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका लगाकर उनके खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 128 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है याचिका में पुलिस हिरासत में उनके साथ की गई मारपीट दुर्व्यवहार आदि के बदले में एक लाख रुपए प्रति व्यक्ति मुआवजा देने की भी मांग की गई है साथ ही साथ यह मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अगर वह रोजगार के लिए मजदूर के रूप में आते हैं तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। आज हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी डी गुरु की खंडपीठ ने इस याचिका पर राज्य शासन से दो सप्ताह में जवाब देने के निर्देश दिए हैं और उसके पश्चात एक सप्ताह में याचिका करता की ओर से प्रति उत्तर देने के निर्देश है जिसके बाद इस याचिका पर आगे सुनवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि 29 जून को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के 12 निर्माण श्रमिक जो ठेकेदार के माध्यम से बस्तर के कोंडागांव में एक स्कूल निर्माण के लिए श्रमिक के रूप में गए थे, को 12 जुलाई को साइबर सेल पुलिस थाना कोंडागांव ने स्कूल निर्माण साइट से सुपरवाइजर श्री पाण्डेय के साथ गाड़ी में भर कर ले गई थी। साइबर सेल खाने में इन 12 श्रमिकों के साथ मारपीट की गई गाली गलौज की गई और दुर्व्यवहार किया गया साथ ही इन्हें लगातार आधार कार्ड आदि प्रस्तुत करने के बाद भी बांग्लादेशी हो करके संबोधित किया गया। शाम 6 बजे इस सभी को कोंडागांव पुलिस कोतवाली ले जाया गया और वह से रात के समय गाड़ी में भर कर 12 और 13 जुलाई की दरमियानी रात जगदलपुर सेंट्रल जेल दाखिल कर दिया गया।
13 जुलाई को हल्ला मचने पर उनके रिश्तेदारों ने सांसद महुआ मित्रा से संपर्क किया और पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन सभी के भारतीय नागरिक होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आधार पर अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाइकोर्ट में दायर की। याचिका सुनवाई में आने के पूर्व एस डी एम कोंडागांव के आदेश से 14 जुलाई को उन्हें रिहा कर दिया गया हालांकि सभी को पुलिस के द्वारा धमकाया गया और छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर कर दिया गया। जिसके कारण सभी मजदूर अपनी रोजी रोटी गंवा कर पश्चिम बंगाल लौट गए।
हाइकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि वे सभी भारतीय नागरिक है और पूरे देश में कहीं भी रोजी रोटी कमाने का उन्हें संवैधानिक अधिकार है।वे करीब 12 दिन से कोंडागांव स्कूल में काम कर रहे थे और उन्होंने ना अपनी पहचान छुपाई और ना ही कोई अपराध किया गिर भी उन्हें प्रताड़ित किया गया।
राज्य शासन इस याचिका का जवाब दो सप्ताह में देगी और एक सप्ताह में याचिका करता इसका प्रतिउत्तर देंगे। जिसके बाद हाइकोर्ट में आगे सुनवाई होगी। आज याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने बहस की।
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Thu Aug 7 , 2025
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