पंचायत का कहना था :जब सरकार खुद शराब बेच रही है, तो पीने वालों को इधर-उधर छुपकर पीने के लिए क्यों भटकना पड़े?

बिलासपुर । राज्य सरकार का अजब गजब नियम है ,शराब की बिक्री से राजस्व की ज्यादा से ज्यादा प्राप्ति हो इसके लिए शराब सस्ती करने के साथ ही पूरे प्रदेश कई नई शराब दुकानें खोलने का निर्णय लिया है तो दूसरी ओर पुलिस इधर उधर शराब पीने वालों को पकड़ती है । शराब पीने वाले परेशान हैं,जाए तो जाएं कहां। उनकी समस्या को पेंड्रा ब्लाक के एक पंचायत ने शिद्दत के साथ महसूस किया और एक प्रस्ताव पारित कर दिया कि पीने वालों को पीने का ठिकाना चाहिए यानि उनके लिए अहाता की व्यवस्था हो ताकि वे शुकून के साथ पी सके। बताया जा रहा है इस प्रस्ताव को सुशासन तिहार के शिविर में दिया गया है।
पेंड्रा ब्लॉक के एक ग्राम पंचायत में पंच रमेश गुप्ता व कुछ और पंचों ने बाकायदा पंचायत बैठक में प्रस्ताव रखा “शराब तो लोग पी ही रहे हैं, अब उन्हें ठिकाने से बैठने की जगह तो दे दो!” पंच चाहते हैं कि गांव में एक वैध और व्यवस्थित “अहाता” खोला जाए, जहां लोग बिना डर के बैठकर शराब पी सकें न खेत में, न नाले के किनारे, न ही पेड़ की आड़ में पीने के लिए जाएं! पंच का तर्क बिल्कुल अनोखा है। उनका कहना है, “जब सरकार खुद शराब बेच रही है, तो पीने वालों को इधर-उधर छुपकर क्यों भटकना पड़े? कोई खेत में बैठा है, कोई मुर्गी के दड़बे के पीछे। पुलिस आए तो भागमभाग, गिरने-पड़ने में चोटें तक लगती हैं। अब अगर एक जगह बैठकर शांति से पिएंगे, तो न हंगामा होगा, न रेड की टेंशन!” इस प्रस्ताव को पंचायत में सहमति भी मिल गई लेकिन महिलाएं बोलीं इससे “घर बर्बाद कर दोगे!”
गांव के कुछ पंचों और बुजुर्गों ने इस प्रस्ताव को सिर हिलाकर समर्थन दिया। वहीं दूसरी ओर, गांव की महिलाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है। एक महिला ने कहा, “पहले तो घर के पीछे छुपकर पीते थे, अब पंचायत के बीचोंबीच ही बार चलाओगे क्या?” महिला की बातों पर सरपंच ने कहा ‘सोचने लायक बात है!’गांव के सरपंच दुर्गा ओट्टी ने इसे अजीब जरूर कहा, लेकिन पूरी तरह खारिज नहीं किया। “अगर इससे गांव की लड़ाई-झगड़े की घटनाएं कम हों और पुलिस का आना-जाना घटे, तो क्यों न सोचा जाए?” उन्होंने यह भी कहा कि प्रस्ताव को प्रशासन तक भेजा जाएगा।
कुछ जिलों में शराब दुकानों के पास बने अहाते पहले से मौजूद हैं। वहां लोग शांति से पीते हैं, खटिया पर लेटते हैं और टाइम पर घर लौट जाते हैं। पंच रमेश गुप्ता चाहते हैं कि उनके गांव में भी ऐसा ही “सुसंस्कृत पीने का स्थान” हो।
ये प्रस्ताव सुनकर जहां एक ओर गांव में हंसी-ठिठोली का माहौल बना है, वहीं प्रशासन असमंजस में है कि इसे ‘लोकतांत्रिक विचार’ माना जाए या ‘लोकल जुगाड़’। बहरहाल, पंच भोलाराम का यह प्रस्ताव गांव की “अजब-गजब पंचायत नीति” में दर्ज होने लायक है।
जिला प्रशासन इसे ‘नशामुक्त गांव’ के खिलाफ मानता है या ‘सुसंस्कृत नशा सेवन नीति’ की शुरुआत यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।
निर्मल माणिक/ प्रधान संपादक ,मोबाइल:- 9827167176
Sat Apr 12 , 2025
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